सट्टेबाजी का भूत एक बार फिर क्रिकेट जगत में उतर आया है. आईपीएल में सट्टेबाजी के मामले में इस बार बौलीवुड अभिनेता अरबाज खान का नाम आया है. IPL में कथित तौर पर सट्टेबाजी के सिलसिले में बौलीवुड अभिनेता और फिल्म निर्माता अरबाज खान से पूछताछ भी की गई. लगातार पांच घंटे की पूछताछ में अरबाज खान ने छह बार सट्टेबाजी की बात कबूल की. आए दिन क्रिकेट मैचो के बुक्की पकड़े जाते हैं, लेकिन फिर भी मैच फिक्सिंग के मामले खत्म नहीं होते. क्रिकेट के सट्टे का बहुत बड़ा कारोबार है. इससे करोड़ों रुपयों का हेरफेर होता है. आइए जानते हैं कैसे चलता है यह गोरखधंधा.

कैसे चलता है ये 'खेल'

सट्टे पर पैसे लगाने वाले को फंटर कहते हैं, जो पैसे का हिसाब किताब रखता है, उसे बुकी कहा जाता है. सट्टे के खेल में कोड वर्ड का इस्तेमाल होता है. सट्टा लगाने वाले फंटर 2 शब्द खाया और लगाया का इस्तेमाल करते हैं. यानी किसी टीम को फेवरेट माना जाता है तो उस पर लगे दांव को लगाया कहते हैं. ऐसे में दूसरी टीम पर दांव लगाना हो तो उसे खाना कहते हैं. इस खेल में डिब्बा अहम भूमिका निभाता है. डिब्बा मोबाइल का वह कनेक्शन है, जो मुख्य सटोरियों से फंटर को कनेक्शन देते हैं.

कोड वर्ड से करोड़ों का लेनदेन

डिब्बा पर ही हर बौल का रेट बताया जाता है. पूरे आईपीएल के दौरान डिब्बे का कनेक्शन ढाई से 3 हजार में मिलता है. डिब्बे का कनेक्शन एक खास नंबर होता है, जिसे डायल करते ही उस नंबर पर कमेंट्री शुरू हो जाती है. आईपीएल मैच में सट्टा 2 सेशन में लगता है. दोनों सेशन 10-10 ओवर के होते हैं. ‘सेशन एक पैसे का है, ‘मैने चव्वनी खा ली है ‘डिब्बे की आवाज कितनी है ‘तेरे पास कितने लाइन है, ‘आज फेवरेट कौन है, ‘लाइन को लंबी पारी चाहिए. कहने को ये सिर्फ चंद ऊटपंटाग अल्फाज लगें, लेकिन इनके बोलने में करोड़ों का लेनदेन हो रहा है.

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