लगातार 11 वनडे मैच हारने वाली पाकिस्तान टीम ने अपने पहले मैच में वेस्टइंडीज के हाथ करारी हार झेली थी. और चूंकि इंगलैंड लगातार 17 बार रनों का पीछा करते हुए जीत चुकी थी इसलिए जब दूसरे मैच में पाकिस्तान के बल्लेबाज पहले बल्लेबाजी करने मैदान पर उतरे तब उन के मन में यही था कि बोर्ड पर इतने रन लगा दिए जाएं ताकि अंगरेजों को उन्हीं के घर में मात दी जा सके.

दूसरी ओर इंगलैंड की टीम ने टौस जीत कर पहले फील्डिंग इसलिए ली थी कि अगर उस के गेंदबाज कामयाब रहे तो वह भी पाकिस्तान को सस्ते में निबटा देगी और आसानी से मैच जीत कर अपने विजयी रथ को आगे बढ़ाएगी.

पर क्रिकेट को अनिश्चितताओं का खेल ऐसे ही नहीं कहा गया है. 3 जून को ट्रेंट ब्रिज के मैदान पर ऐसा ही कुछ हुआ. पाकिस्तान ने सधी शुरुआत की. इमाम उल हक और फकर जमान ने 14.1 ओवर में 82 रन की साझेदारी की. फकर जमान के आउट होने के बाद क्रीज पर आए बाबा आजम स्कोर को और आगे पहुंचाया. 111 के स्कोर पर इमाम उल हक के रूप में पाकिस्तान की दूसरी विकेट गिरी थी लेकिन पाकिस्तानियों की रन बनाने की रफ्तार कम न हुई. बाबा आजम और मोहम्मद हफीज ने उम्दा शॉट लगाते हुए इंगलैंड के गेंदबाजों पर दबाव बना दिया. 32वें ओवर की 5वीं गेंद पर जब बाबा आजम आउट हुए तब तक पाकिस्तान ने 199 बना लिए थे.

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मोहम्मद हफीज ने शानदार खेल दिखाते हुए 62 गेंदों पर 8 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 84 रन बनाए. उन के अलावा कप्तान सरफराज अहमद ने भी 44 गेंदों पर 55 रन बनाए. पाकिस्तान की तरफ से 80 रन से ज्यादा की 3 साझेदारियां निभाई गईं. नतीजतन, पाकिस्तान ने 50 ओवर में 348 रन का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया.

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