इस साल 10 अगस्त को सैन फ्रांसिस्को की एक अदलात ने फैसला सुनाया कि दुनिया भर में सबसे अधिक प्रयोग किए जाने वाले राउंडअप हर्बीसाइड (खरपतवार नाशक) के प्रभाव से ड्वेन जॉनसन, जो सैन फ्रांसिस्को के पास के एक स्कूल में ग्राउंडकीपर थे, को लाइलाज कैंसर हुआ है. जूरी ने सजा और क्षतिपूर्ति के रूप में कृषि प्रोद्योगिकी कंपनी मोनसेंटो को आदेश दिया कि वह जॉनसन को 2116 करोड़ रुपए बतौर मुआवजा दे. बता दें कि राउंडअप मोनसेंटो की कंपनी है. जॉनसन ने कोर्ट में अपनी गवाही में कहा था कि वो हर्बीसाइड का प्रयोग साल में 20-30 बार करते थे और कम से कम दो बार उन्हें रसायन से नहाना पड़ा. फिर 2014 में उन्हें गैर-हॉजकिन लिंफोमा हो गया. यह एक दुर्लभ कैंसर है.

राउंडअप हर्बीसाइड में पड़ने वाला मुख्य रसायन ग्लाइफोसेट है. मनुष्य और पर्यावरण पर इस रसायन के जहरीले प्रभाव की आशंका के चलते सरकारें और अंतरराष्ट्रीय जन स्वास्थ संगठन इस पर अनुसंधान कर रहे हैं. उदाहरण के लिए 2013 में भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में कहा था, ‘‘राउंडअप से कैंसर सहित अन्य स्वास्थ संबंधी खतरे की गंभीर आशंका है.’’ दो साल बाद विश्व स्वास्थ संगठन की कैंसर पर शोध करने वाली अंतरराष्ट्रीय एजेंसी आइएआरसी ने ग्लाइफोसेट को मनुष्यों के लिए संभवतः कैंसरकारी बताया था.

पिछले साल जून में ली मोंडे में प्रकाशित मोनसेंटो पेपर्स के अनुसार इस कंपनी ने आईएआरसी को 2015 की रिपोर्ट के लिए उस संस्था को खूब भलाबुरा कहा था. इन रिपोर्टों के अंग्रेजी अनुवाद के अनुसार कंपनी ने रिपोर्ट को ‘जंक’ अथवा कबाड़ विज्ञान कह कर खारिज कर दिया था.

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