सरकारी विभागों की तमाम कवायद के बावजूद पिछले साल की तुलना में इस बार अक्टूबर में अब तक दिल्ली को कहीं अधिक खराब दिन मिले हैं. 15 अक्टूबर से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू करने के साथ-साथ सीपीसीबी की टीमों का निरीक्षण अभियान शुरू हो जाएगा.

111 दिन में इस साल 7 दिन खराब

सीपीसीबी के अनुसार अक्टूबर में इस साल अभी तक खराब दिनों की संख्या अधिक रही है. 2017 में 1 से 11 अक्टूबर के बीच दिल्ली में 5 दिन खराब और 5 दिन सामान्य स्तर प्रदूषण रहा था, लेकिन इस साल तक अब तक 4 दिन सामान्य और 7 दिन खराब स्तर का प्रदूषण मिला है. पिछले साल 17 अक्टूबर को दिल्ली में पहली बार बेहद खराब स्तर रहा था. पूरे अक्टूबर माह के दौरान पिछले साल 5 दिन सामान्य, 10 दिन खराब, 14 दिन बेहद खराब और एक दिन खतरनाक स्तर का प्रदूषण रहा था.

स्थानीय निकायों को अपनी टीमें बनाने के निर्देश

सीपीसीबी ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के स्थानीय निकायों को गुरुवार को ही एक बैठक कर निर्देश जारी किए हैं कि प्रदूषण से निपटने के लिए वह भी अपनी टास्क फोर्स टीमों का गठन करें. पराली जलने का सिलसिला शुरू हो चुका है. ऐसे में प्रदूषण के उल्लंघन के मामलों को तेजी से दूर करने के लिए सीपीसीबी की 41 टीमें दिल्ली- एनसीआर को कवर नहीं कर पाएंगी. इसलिए स्थानीय निकाय भी अपनी टीमों को बनाएं और इन टीमों के लिए एक नोडल अधिकारी भी रखें.

हवा की गति बढ़ी, प्रदूषण घटा

हवा की गति बढ़ते ही गुरुवार को न केवल दिल्ली की फिजा में ठंडक का अहसास हुआ बल्कि प्रदूषण भी घट गया. हालांकि यह अभी कुछ ही देर के लिए है. शुक्रवार दोपहर बाद फिर से हवा की गति कम होने लगेगी. इस बीच 11 अक्टूबर का दिन पिछले 7 सालों में सबसे ठंडा दर्ज किया गया.

गुरुवार को राजधानी का अधिकतम तापमान महज 32.3 डिग्री सेल्सियस रहा. जो सामान्य से एक डिग्री कम रहा. न्यूनतम तापमान 24.5 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से चार डिग्री अधिक था. हवा में नमी का स्तर 49 से 79 फीसद दर्ज किया गया. मौसम विभाग के अनुसार हवा की गति औसतन 20 से 22 किलोमीटर प्रति घंटे रही. बीच-बीच में यह 35 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे तक भी दर्ज की गई.

सीपीसीबी के अनुसार हवा की गति बढ़ने से पीएम 10 और पीएम 2.5 के प्रदूषक तत्व छंटने में मदद मिली है. दिल्ली का एयर इंडेक्स भी गिरकर 210 पहुंच गया. जबकि बुधवार को यह 241 रहा था. मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बीपी यादव ने बताया कि यह बदलाव पहाड़ों पर हुई ताजा बर्फबारी की वजह से हुआ है.

दूसरी तरफ स्काईमेट वेदर के अनुसार जम्मू-कश्मीर से पश्चिमी विक्षोभ गुजर रहा है. इसकी वजह से उत्तरी राजस्थान और इससे लगते पंजाब व हरियाणा में साइक्लोनिंग सकरुलेशन बना है. हालांकि यह बदलाव कुछ देर के लिए ही है. शुक्रवार से फिर हवा की गति कम हो जाएगी. रात के तापमान में 1 से 2 डिग्री की गिरावट आ सकती है, लेकिन दिन में किसी तरह की राहत नहीं मिलेगी.

स्काईमेट के अनुसार उत्तर-पश्चिम की हवाओं के साथ पंजाब और हरियाणा में जलने वाली पराली का धुआं यहां पहुंचेगा और दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ाएगा. जैसे-जैसे न्यूनतम तापमान में गिरावट आएगी कोहरा बढ़ेगा और पराली के धुएं का प्रदूषण मिलकर स्मॉग का रूप भी ले सकता है.’

समस्या

– इस साल 11 दिन में से सात दिन खराब रहा हवा का स्तर

– इसी अवधि में बीते वर्ष पांच दिन खराब और पांच दिन थे सामान्य

पिछले साल से क्या अलग है

– पराली जलाने से रोकने के लिए स्पेशल बजट के तहत स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम बनाया गया है. यह मशीन खेतों में ही पराली को क्रश कर बिछा देती है जिससे मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है

– पेट कोक पर बैन लगा है

– ईस्टर्न पेरिफेरल वे शुरू हुआ है

– औद्योगिक इकाइयों के लिए सॉक्स और नॉक्स के मानक तय हुए हैं

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...