आजकल देशभर में दलितों पर हिंसा की खबरें सुर्खियों में हैं. आएदिन कहीं न कहीं दलित तबके के लोगों के साथ मारपीट, भेदभाव और हिंसा की वारदातें हो रही हैं.

हाल ही में गुजरात के राजकोट में कचरा बीन रहे एक नौजवान मुकेश सावजी वनिया को पीटपीट कर मार डाला गया. वह रादडिया इंडस्ट्री के पास अपनी पत्नी जया के साथ कचरा इकट्ठा कर रहा था. फैक्टरी के मुलाजिमोें ने चोरी के शक में उसे बांध कर बुरी तरह से पीटा था.

घायल मुकेश को अस्पताल ले जाया गया जहां उस की मौत हो गई. मुकेश की पत्नी का आरोप है कि पिटाईर् करने वालों ने पहले उस की जाति पूछी और फिर मारने लगे थे.

इस से पहले गुजरात के ही गांधीनगर के लिंबोदरा गांव में मूंछ रखने के मामले में एक दलित नौजवान की पिटाई कर दी गई थी. कहा गया था कि उसे मूंछ रखने का हक नहीं है.

आणंद जिले के भादरणीया गांव में, जो गुजरात में ही है, गरबा देखने गए प्रकाश सोलंकी नाम के एक दलित नौजवान पर हमला कर दिया गया. उसे धमकाया गया कि हमारी बहनबेटियां यहां गरबा खेलती हैं, नीची जाति के लड़के यहां न आया करें.

पिटाई से प्रकाश की मौत हो गई. उस का भाईर् जयेश सोलंकी उसे बचाने आया तो उसे भी मारापीटा गया.

गुजरात के बनासकांठा जिले के अमीरगढ़ के कर्जा गांव में एक दलित नौजवान और उस के परिवार पर इसलिए हमला बोल दिया गया क्योंकि गांव के एक परिवार ने उस दलित नौजवान को मरा हुआ पशु उठाने को कहा था. नौजवान ने मना कर दिया तो कुछ लोगों ने मिल कर उन लोगों को पीटपीट कर जख्मी कर दिया.

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