नेशनल क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरो के मुताबिक साल 2018 में हर दिन 91 महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं घटी थीं. इस तरह सालभर में कुल 33,356 महिलाएं इस कुकृत्य का शिकार हुईं. लेकिन इनमें से कितने बलात्कारियों को सजा मिलेगी, यह आंकड़ा तो अभी तक नहीं आया, लेकिन अगर 2016-17 आदि के आंकड़ों के हिसाब से देखें तो भारत में सिर्फ 27.2 फीसदी बलात्कारियों को ही सजा मिल पाती है. कभी कभी किसी साल यह संख्या कुछ ज्यादा हो जाती है वरना आमतौर पर इसी प्रतिशत के आसपास बनी रहती है. सवाल है आखिर तमाम सख्त कानून होने के बावजूद हिंदुस्तान में सभी या ज्यादा से ज्यादा बलात्कारियों को सजा क्यों नहीं मिलती? नहीं, ये सभी रसूख वाले नहीं होते कि पैसे और हैसियत की बदौलत सजा से बच जाएं. इनके सजा से बच जाने के पीछे एक बड़ी भूमिका हमारी अज्ञानता की होती है. दरअसल बलात्कार के बाद इसे एक सामाजिक त्रासदी के रूप में एहसास करते हुए, बलाकृत महिला और उसके घर वाले इस कदर दहशत, निराशा और हीनभावना के शिकार हो जाते हैं कि वे बलात्कारी को सजा दिलवाने के लिए साक्ष्य जुटाने या उन्हें बरबाद होने से बचाने के प्रति तो सजग होते ही नहीं उल्टे अपनी नासमझी से तमाम सबूतों को ही मिटा देते हैं.
सवाल है अगर बलात्कार हो ही जाए तो हमें क्या कुछ करना चाहिए ताकि बलात्कारी जैसे खूंखार अपराधी को हर हाल में सजा मिले? मशहूर सेक्सोलाॅजिस्ट डाॅ. प्रकाश कोठारी के साथ एक लंबी बातचीत के बाद यह निष्कर्ष निकलता है कि अगर हम बलात्कार के बाद अपना होश न खोएं और बलात्कारी को सजा दिलवाने के प्रति सजग हो जाएं तो वह किसी भी कीमत में इससे बच नहीं सकता. इसके लिए बलात्कार का शिकार महिला को विशेष रूप से यह सावधानी बरतनी चाहिए कि वह अपना मानसिक संतुलन न खोए. इसमें उसके परिजनों की भी यही सोच होनी चाहिए. बलात्कार महिला ओ सोचना चाहिए कि इसमें उसका क्या दोष नहीं? अतः न शर्माएं, न झिझकें, न डरें, बोल्डनेस दिखायें. बलात्कारी के विरुद्ध हर हाल में कार्यवाही कराने की हिम्मत जुटाएं. बलात्कार की आपदा के समय भी अपने आंख-कान खुले रखें. दिमाग दुरूस्त रखें.
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बलात्कारी के संबंध में कई छोटी छोटी बातें याद रखें मसलन वह किस वाहन से आया था, क्या कपड़े पहने था. शरीर पर किसी खास निशान, स्थायी निशान, उसकी भाषा, बोलचाल के लहजे पर भी ध्यान दें. बलात्कारी की लंबाई, शरीर के आकार-प्रकार, उम्र, बालों, आंखों का रंग, हेयर स्टाइल की ओर भी नजर रखें. यदि बलात्कारी के कपड़ों से कोई खास सेंट या किसी प्रकार की सुगंध अथवा दुर्गंध आ रही हो, तो वह भी याद रखें. बलात्कारी के चंगुल से छूटने के तुरंत बाद यह देखें कि वह किस तरफ गया है. यदि वह कार इत्यादि किसी वाहन से है तो उसका नंबर, उस पर लगे स्टीकर कार का मेक, डिजाइन, नाम इत्यादि याद कर लें. बलात्कार के बाद जितनी जल्दी हो सके पुलिस को फोन करें.
शरीर पर लगे घावों, काटने, नोंचने, खरोंचने के निशानों को साफ करने से पहले पुलिस या संबंधित डाॅक्टर द्वारा मुआयना हो जाने दें.बलात्कार की घटना में मेडिकल रिपोर्ट बड़ी अहम भूमिका निभाती है. 24 घंटे के भीतर यदि चिकित्सकीय परीक्षण नहीं हुआ तो बलात्कार के बहुत से सबूत लगभग नष्ट हो जाते हैं और बलात्कारी के छूटने की राह बन जाती है. मेडिकल से पहले हो सके तो पेशाब न जाएं. नहाएं तो बिल्कुल नहीं, न ही डूश पिचकारी से योनिमार्ग की धुलाई या दवा न लें. कपड़े भी न बदलें न ही ब्रश करें, संभव हो तो कुछ खाएं-पीएं भी नहीं. यह सब तभी संभव है, जब बलात्कार के चार-पांच घंटों के बाद या भीतर ही चिकित्सकीय सुविधा मिल जाए.
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मेडिकल जांच में महिला या जहां वह उपस्थित न हो पुरुष चिकित्सक घावों,चोटों, खरोंचो, निशानों का परीक्षण करता है, उसे नोट करता है. गुप्तांगों का बाहरी तौरपर पूरी तरह परीक्षण करता है. खासतौर पर योनिद्वार के आसपास, चिकित्सक योनि के भीतर काटन डालकर स्वाब टेस्ट के लिए योनि के अंदर एक औजार डालकर थोड़ी खुरचन भी करता है, यह थोड़ा कष्टप्रद हो सकता है पर घबराएं नहीं, न ही झिझकें. डाॅक्टर के सवालों का पूरी ईमानदारी से विस्तृत जवाब दें.
डाॅक्टर इन नमूनों के साथ मुंह की जांच कर सकता है. यदि बलात्कारी ने मुख मैथुन भी किया हो. साथ ही साथ वह खून का नमूना, सिर के बाल तथा गुप्तांगों के बाल का कुछ नमूना ले सकता है. उसे ऐसा करने दें, न करे तो पूछ लें कि क्या इसकी आवश्यकता है, मुखर बनें, दब्बू नहीं. बलात्कार के कुछ हफ्ते बाद एक मेडिकल परीक्षण और करवाएं यौन रोगों के संक्रमण का. बहुधा बलात्कारी इससे पीड़ित हो सकते हैं बलात्कार के तुरंत बाद इसके लक्षण नहीं दिखते न परीक्षण में पकड़े जाते हैं पर बाद के परीक्षण में रोग उभरने से पहले यह पकड़ में आ जाते हैं. आसन्न परेशानी से बचने के लिए इस परीक्षण में कोताही न बरतें. पहली ही माहवारी समय पर न आये तो तुरंत गर्भ परीक्षण करवायें कहीं आप बलात्कारी से गर्भवती तो नहीं होने जा रहीं. समय रहते पता चल जाने से इस समस्या से निजात पाना आसान होता है.
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पुलिस आपसे बलात्कार के दौरान, जो कपड़े आपने पहने थे उन्हें रखवाने की बात कर सकती है. पुलिस को ये कपड़े जरूर दें पर उसके फटने, मसलने, निशान धब्बा कहां हैं याद कर लें. पुलिस के फोटोग्राफर को फोटो खींचने को भी कहें. इन सारी प्रक्रियाओं के दौरान अपने किसी भी शुभचिंतक, मित्र, रिश्तेदार, घर के लोग या समाजसेवी व्यक्ति को साथ रखें तो बेहतर होगा. बलात्कार के बाद अपनी मनःस्थिति को मजबूत करें जिसे विश्वस्त समझें उससे अपना दुख कहकर उसे हल्का करें.
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समझदार खुले दिल दिमाग वालों के पास बैठें. लोगों में इन्वाल्व हों. चुप और अकेले मत बैठें. कटे-कटे न रहें लोगों का सामना हिम्मत और खुलेपन से करें. इस घटना को पूरे जीवन से जोड़कर न देखें. बस इतना समझें कि यह लंबे जीवन में कुछेक घंटों का काला पक्ष था. भूलने की कोशिश करें. गलतियों से सबक लें, आगे के लिए सावधान रहें. यदि आप सामान्य जीवन नहीं बिताएंगी, डरेंगी, खुलेंगी नहीं कार्यवाई नहीं करेंगी तो बलात्कारी की हिम्मत बढ़ेगी. वह आपको या आप जैसी दूसरी को शिकार बना सकता है.
(सेक्सोलाॅजिस्ट डाॅ. प्रकाश कोठारी से हुई बातचीत के आधार पर)