स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती उर्फ कृष्णपाल सिंह ने कंधे पर पड़े रामनामी को उतार कर झाड़ा और मुसकरा कर फिर से अपने गले में लपेट लिया, मानों साफे पर थोड़ी गंद पड़ गई थी, जो झटकते ही साफ हो गई.

होंठों पर विजयी मुसकान लिए और ऐंठ के साथ चलते चिन्मयानंद की भावभंगिमा यह बताने के लिए काफी थी कि हम भले ही आकंठ पाप के समंदर में उतर जाएं, लेकिन हमारा कोई कुछ नहीं बिगाङ सकता.

दरअसल, भारत में धर्म की ढाल, पैसे की ताकत, सत्ता में रसूख और अंधभक्तों का समर्थन घोर से घोर पापियों को भी सजा से बचा लेता है.

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बलात्कार के आरोपी स्वामी चिन्मयानंद को भी सत्ता और पैसे की ताकत ने आखिरकार बचा ही लिया.

यह कोई पहला मौका नहीं है जब संत के लबादे में छिपे कामुक भेड़िए को सत्ता की मेहरबानियों ने बड़ी ही आसानी से उबार लिया. इस से पहले के मामलों में भी उन का बाल बांका नहीं हुआ है.

संत का चोला ओढ़ कर असंतई करने वाले बाबा के खिलाफ मुकदमों की फाइलें विभागों और अदालतों के खानों में पड़ी धूल फांकती रहीं और स्वामी अपनी यौन पिपासाओं की शांतिक्रिया में रत रहे.

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पीङिता का यूटर्न

भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती पर बीते साल बलात्कार का आरोप लगाने वाली कानून की छात्रा ने कोर्ट में यूटर्न लेते हुए उन पर लगाए बलात्कार के आरोप को वापस ले लिया है.

एमपी एमएलए विशेष कोर्ट में उस ने जज के सामने कहा,"चिन्मयानंद ने उस:के साथ कोई बलात्कार नहीं किया है."

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