परिवारों में आपसी प्रेम, शांति, तालमेल को ले कर दिए जाने वाले तमाम धार्मिक उपदेशों पर पारिवारिक कलह भारी पड़ रही है. परिवारों में तनाव बढ़ता जा रहा है और गंभीर अवसाद का रूप ले रहा है.

पतिपत्नी, बापबेटे, भाईभाई, बहनभाई के बीच झगड़ा मर्यादाओं को लांघ रहा है. खून के रिश्ते तारतार होते दिख रहे हैं. वह चाहे राजनीतिक परिवार हो, औद्योगिक हो या अन्य सामान्य परिवार. लोभ, लालच, वर्चस्व की इच्छा हावी हो रही है. परस्पर मानसम्मान, आदर भाव खत्म होते नजर आते हैं.

पीढ़ियों के गैप की समस्या आज की नहीं है. पितापुत्र, दादापौत्र के बीच वक्त अंतराल की दिक्कतें आम बात हैं. पीढियों के बीच समय के मुताबिक सोचविचार, आचारव्यवहार में अंतर होना स्वाभाविक है. आम घरों में यह समस्या आए दिन देखी जा सकती है. सामान्य परिवारों की इस तरह की समस्याएं जगजाहिर नहीं होतीं लेकिन किसी मशहूर, प्रतिष्ठित राजनीतिक, औद्योगिक, फिल्मी परिवार में कलह हो तो समाचारों की सुर्खियां बन जाती हैं.

एक बार फिर मशहूर टैक्सटाइल कंपनी रेमंड के मालिक विजयपत सिंघानिया और उन के पुत्र गौतम सिंघानिया के बीच तनाव गहराने की खबर छाई हुई हैं. विजयपत सिंघानिया को पत्र के जरिए बताया गया है कि उन्हें रेमंड ग्रुप के मानद चेयरमैन पद से हटा दिया गया है. विजयपत सिंघानिया ने कहा है कि उन्हें हटाने के संबंध में जब तक बोर्ड के निर्णय का प्रमाण नहीं दिया जाएगा तब तक वह फैसले को नहीं मानेंगे.

रेमंड के निदेशक और कंपनी सेक्रटरी थामस फर्नांडीज ने 7 सितंबर को लिखे पत्र  में बताया था कि कंपनी बोर्ड ने सिंघानिया के व्यवहार के कारण उन्हें मानद चेयरमैन पद से हटाने का निर्णय लिया है. इस से पहले 30 अगस्त को विजयपत ने कंपनी बोर्ड को लिखे पत्र में उन्हें हटाने के लिए बेटे की चालबाजी का जिक्र किया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि गौतम ने उन की कई कीमती वस्तुएं वापस करने से इनकार कर दिया है.

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