‘एक देश एक परीक्षा’ भी ‘एक देश एक चुनाव’, ‘एक देश एक टैक्स’ जैसा ही है. जिस तरह ईवीएम पर सवाल उठे, उसी तरह से नीट की ओएमआर शीट भी सवालों के घेरे में है. ईवीएम को सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिलने के बाद भी शंका बरकरार है. नीट आयोजित कराने वाली नैशनल टैस्टिग एजेंसी (एनटीए) कहती है, ‘परीक्षा की ओएमआर शीट में छेड़छाड़ संभव नहीं है.’ नीट में गड़बड़ी की दूसरी राहें भी हैं. ग्रेस मार्क्स और पेपर लीक सवालों के घेरे में हैं. नीट की तरह ही इंजीनियरिंग में ‘जेईई’ और विश्वविद्यालय परीक्षाओं के लिए ‘क्यूट’ भी आयोजित की जाती हैं. ये भी ‘एक देश एक परीक्षा’ जैसी हैं.
नीट में एक लाख 50 हजार सीटों के लिए 24 लाख छात्र परीक्षा देते हैं. नैशनल लैवल की जगह स्टेट लैवल पर यह परीक्षा क्यों नहीं आयोजित की जाती? क्या सरकार सभी छात्रों के लिए सरकारी मैडिकल कालेज नहीं खोल सकती? छात्र प्राइवेट कालेज में पढ़ने क्यो जाएं? समय से 10 दिनों पहले परीक्षा परिणाम क्यों आया? जबकि 4 जून को लोकसभा का चुनाव परिणाम भी आना था? ग्रेस मार्क्स देने का फार्मूला क्या था? क्या केवल 1,563 छात्रों को ही ग्रेस मार्क्स दिए गए?
ग्रेस मार्क्स वाले छात्रों की दोबारा परीक्षा लेने से मैरिट पर क्या असर पड़ेगा? एनटीए की गलती पकड़ी जा चुकी है. ऐसे में उस के द्वारा आयोजित परीक्षा पर भरोसा कैसे हो? क्या इस परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों का खर्च सरकार उठाएगी? बहुतेरे ऐसे सवाल हैं जिन के जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं. सरकार ‘एक देश एक परीक्षा’ कराने को आतुर है. नीट में दिखने वाली गड़बड़ियों के बाद अब इस तरह की व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं. ऐसे में जरूरी है कि स्टेट लैवल पर परीक्षा हो. अगर ऐसा होगा तो गड़बड़ी के मौके कम होंगे.
सरकार को एक देश एक परीक्षा की जिद छोड़नी होगी. जितनी बड़ी परीक्षा होगी, उस में गड़बड़ी की संभावना उतनी ही अधिक होगी. ऐसे में पहले की ही तरह से जिले और राज्य स्तर पर पीएमटी और सीपीएमटी परीक्षा आयोजित हों. सब की अलग योग्यता हो. योग्यता से अधिक वालों को परीक्षा से अयोग्य ठहराया जाए. तभी सही आकलन हो सकेगा व योग्य अभ्यर्थी का ही चुनाव हो सकेगा.
छात्र चाहे स्नातक की पढ़ाई करना चाहें या इंजीनियरिंग की, सरकार की जिम्मेदारी है कि वह पढ़ाई की व्यवस्था करे. शिक्षा का बाजारीकरण रुकना चाहिए. इसी वजह से गड़बड़ी होती है. सरकारी कालेज एलौट होने की चाह में छात्र कोचिंग संस्थानों के मोहपाश में पड़ते हैं. कोचिंग संस्थानों में छात्रों पर मानसिक दबाव डाला जाता है. जिस वजह से छात्र आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर होते हैं.
सवालों से घिरी नीट
नीट यूजीसी का आयोजन 5 मई, 2024 को देशभर में 4,750 केंद्रों पर किया गया. जिस में 24 लाख से अधिक बच्चे शामिल हुए थे. इस के बाद रिजल्ट 14 जून को आना था. लेकिन यह 4 जून को ही जारी कर दिया गया. इस में 67 स्टूडैंट्स को 720 में से 720 अंक मिले. 2 स्टूडैंट्स को 717 और 719 अंक मिले. सारा विवाद यहां से शुरू हुआ. विवाद के 3 प्रमुख कारण थे. एक तो लोगों को यह समझ नहीं आया कि 67 छात्रों को 720 में से 720 नंबर कैसे मिले?
दूसरा सवाल यह उठ रहा है कि जब परीक्षा का परिणाम 14 जून को आना था तो उसे अचानक 10 दिनों पहले 4 जून को ही क्यों घोषित कर दिया गया. 4 जून को देश के लोकसभा चुनाव का परिणाम आना था. विरोधियों का तर्क है कि एनटीए को यह लग रहा था कि चुनावी शोर में यह विवाद छिप जाएगा. लेकिन लोकसभा चुनावों में भाजपा को हार मिलने के बाद विरोध के स्वर मुखर हो गए और नीट परीक्षा में गड़बड़ी मुद्दा बन गया. दूसरा सवाल यह उठ रहा है कि किसी छात्र के 717, 718 और 719 अंक कैसे आ सकते हैं?
3 नंबरों ने खोला राज
नीट परीक्षा में 720 नंबर का पूरा पेपर होता है. अगर छात्र एक सवाल छोड़ता है तो उस के 4 नंबर कट जाएंगे, जिस के बाद छात्र को 716 नंबर मिल सकते है. अगर एक सवाल गलत करता है तो उस के 4 नंबर गलत जवाब देने के काटेंगे और 1 नंबर माइनस मार्किग का कटेगा यानी उस के कुल 5 नंबर काटेंगे तो उस को 715 नंबर मिलेंगे. ऐसे में यह समझ नहीं आ रहा कि 717, 718 और 719 किस तरह से नंबर मिले हैं. यही वह सूत्र था जिस से नीट में गड़बड़ी का राज खुला. नीट ने अपनी सफाई में तर्क दिया कि ग्रेस मार्क्स के कारण ये नंबर आए. तब सवाल उठा कि ग्रेस मार्क्स क्या है? ये क्यों दिए गए? किस को दिए गए? ग्रेस मार्क्स देने का फामूर्ला क्या था? ये सभी सवाल एनटीए के गले की हड्डी बन गए हैं.
छात्रों पर रहता है परीक्षा का दबाव
हमारे समाज में आईएएस के बाद सब से अधिक सम्मान वाला पेशा डाक्टरी को माना जाता है. ऐसे में आईएएस के बाद सब से अधिक छात्र मैडिकल में कैरियर बनाना चाहते हैं. 2023-24 के लिए आईएएस परीक्षा में 13 लाख छात्रों ने प्रवेशपरीक्षा दी थी. इन में से केवल 14 हजार ही मेंस के लिए परीक्षा में आगे बढ़ पाए. मैडिकल के लिए 24 लाख छात्रों ने इस साल नीट की परीक्षा दी थी.
मैडिकल की पढ़ाई के लिए नीट में अच्छा स्कोर लाए बिना अच्छे संस्थान में प्रवेश नहीं मिल सकता. नीट क्वालीफाई उम्मीदवार ही विदेश से कोर्स करने के बाद भारत में प्रैक्टिस के लिए पात्र होंगे. इस के लिए उन को भी एफएमजीई परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी. बिना नीट क्वालीफाई किए उम्मीदवार पहले की तरह अब विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई कर भारत में प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे.
नीट का कटऔफ स्कोर परीक्षा के बाद बनता है, उस आधार पर ही सरकारी कालेज और प्राइवेट कालेज एलौट किए जाते हैं. सरकारी कालेज की मांग 2 वजहों से होती है. इन की रैंक पढ़ाई के हिसाब से बेहतर होती है. दूसरे सरकारी कालेज मे फीस कम होती है. ऐसे में नीट देने वाले हर छात्र का सपना होता है कि उसे सरकारी कालेज मिल जाए.
मेरिट में आने के लिए ही छात्र कोचिंग की मदद लेता है. औनलाइन क्लास लेता है और सैल्फ स्टडी करने के लिए बाजार से किताबें व गाइड भी खरीदता है. किताबों, कोर्स और कोचिंग की फीस हर साल बढ़ती जाती है. कोचिंग की सालाना फीस 2 लाख रुपए होती है. इस के कोचिंग वाले हर माह मौक टैस्ट के नाम पर परीक्षा कराते हैं.
इस में छात्रों को सिखाया जाता है कि परीक्षा के निर्धारित समय में कैसे अधिक से अधिक सवालों के जवाब दें. सही सवालों के जवाब दें. गलत जवाब देने में नंबर कटने का खतरा रहता है. ऐसे में अधिक से अधिक नंबर पाने के लिए छात्र कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. पेपर लीक भी होता है. ऐसे मे नीट आयोजित करने वाली एनटीए सवालों के घेरे में है.
पटना से गोधरा तक पेपर लीक
केंद्र सरकार भले ही दावा करे कि नीट में पेपर लीक नहीं हुआ लेकिन सवाल उठता है कि पटना से ले कर गोधरा तक पेपर लीक पर बवाल क्यों मचा है. परीक्षा से एक रात पहले कई छात्रों को एक ही कमरे में पेपर सौल्व कराए गए. कई हजार किलोमीटर दूर से छात्र गोधरा के सैंटर में परीक्षा देने क्यों और कैसे आए? नीट परीक्षा द्वारा 40 हजार सीटें सरकारी कालेज में होती हैं. सारा झगड़ा इन 40 हजार सीटों में जगह बनाने की होती है. प्राइवेट कालेज में 5 साल के एमबीबीएस कोर्स की फीस 1 करोड़ 25 लाख से 2 करोड़ के बीच होती है. सरकारी कालेज में एक साल में 2 लाख का खर्च आता है. ऐसे में 10 लाख में डाक्टरी की पढ़ाई हो जाती है. गोधरा के अलावा पटना के शास्त्रीनगर सैंटर पर भी 13 छात्रों को हिरासत में ले कर पेपर लीक की जांच की जा रही है. अगर पेपर लीक का मसला नहीं है तो इन को गिरफ्तार क्यों किया गया?
छात्रों ने उठाए एनटीए पर सवाल
जब नीट आयोजित कराने वाली संस्था एनटीए ने टौपर्स के नाम अपनी वैबसाइट पर अपलोड किए तो छात्रों ने सवाल करने शुरू कर दिए. छात्रों ने एजेंसी से पूछा कि जहां हर साल एक या अधिकतम 2 टौपर निकलते हैं, वहीं इस साल कुल 67 टौपर हैं और इन सभी को परफैक्ट 720 अंक मिले हैं,ये कैसे हुआ ? इन में एक ही एग्जाम सैंटर से 6 टौपर्स होने की बात भी सामने आई. इस बार के बहुत से नीट टौपर्स एक ही सैंटर से हैं और परीक्षा से पहले कई सैंटरों पर पर्चा लीक होने की खबर भी आई. सरकार ने बिना किसी जांच के ही पेपर लीक के आरोप को नहीं माना है.
छात्रों ने एनटीए पर दूसरा आरोप लगाते हुए कहा कि खास सैंटर्स के स्टूडैंट्स को ही ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं जबकि पेपर लेट कई सैंटर्स पर हुए थे. छात्रों ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस रिजल्ट में 2 छात्रों, जिन की रैंक भी 68 और 69 आई है, को 718 और 719 नंबर दिए गए जोकि नीट की मार्किंग स्कीम के हिसाब से संभव नहीं है. इस के बाद नीट के छात्रों ने देशभर में प्रदर्शन करने शुरू कर दिए.
परीक्षा सैंटर पर भी तमाम तरह की धांधलियों की शिकायत मिलती है. एक बड़ी शिकायत यह मिली कि परीक्षा निरीक्षक को एनटीए की तरफ से 1,800 रुपए दिए जाते हैं. कालेज वाले इस में से 800 रुपए वापस ले लेते हैं. परीक्षा सैंटर काफी दूरदूर होने के कारण छात्रों को रात खुले में गुजारनी पड़ती है. इन के रहने खाने की व्यवस्था नहीं होती है. इस से इन को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
जिन कालेजों में परीक्षा केंद्र बनाए जाते हैं उन की अलग सांठगांठ होती है. इसी तरह से कोचिंग संस्थाओं की भी सांठगांठ होती है. पेपर आउट से ले कर परीक्षा में गड़बड़ी तक बहुत ऐसे मसले हैं जिन की वजह से परीक्षाओं पर से भरोसा घटा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नीट में गड़बड़ी से परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई है. अब यह सवाल सड़क से ले कर संसद तक उठना तय है.
छात्रों के सपने चूरचूर
लखनऊ की रहने वाली आयुषी का नीट रिजल्ट गलत एप्लीकेशन नंबर के साथ जारी कर दिया गया जिस में उस के अंक सिर्फ 355 दिखाए जा रहे हैं. नीट परीक्षा में 715 अंक लाने का दावा करने वाली आयुषी पटेल लगातार सुर्खियों में हैं. अब एक नए विवाद के अनुसार एनटीए ने आयुषी का रिजल्ट गलत एप्लीकेशन नंबर के साथ जारी कर दिया है जिस में उस के अंक सिर्फ 355 दिखाए जा रहे हैं. सवाल यह उठता है कि अगर आयुषी को उस के सही एप्लीकेशन नंबर और आंसर की के मुताबिक 715 अंक मिले हैं तो उस का रिजल्ट गलत रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ कैसे जारी कर दिया गया.
आयुषी पटेल का कहना है कि पहले एनटीए ने उस का रिजल्ट रोक दिया. फिर जब उस ने ईमेल किया तो एनटीए ने उसे फटी हुई ओएमआर शीट भेज कर कारण बता दिया. जब यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उठा तो कांग्रेस की प्रियंका गांधी ने इस पर ट्वीट किया. इसी बीच, एक यूजर ने दावा किया कि आयुषी पटेल का रिजल्ट जारी कर दिया गया है. जांच में पता चला कि नैशनल टैस्टिंग एजेंसी ने लखनऊ की नीट छात्रा आयुषी पटेल का रिजल्ट गलत एप्लीकेशन नंबर के साथ अपलोड कर दिया है.
आयुषी के अनुसार, एडमिट कार्ड पर उस का आवेदन क्रमांक 240411840741 था और एनटीए ने फटी हुई ओएमआर शीट के कारण रिजल्ट जारी करने से मना कर दिया था. लेकिन जब आयुषी का आवेदन क्रमांक 240411340741 डाला गया तो उस का रिजल्ट सामने आया, जिस में उस के 355 अंक थे.
आयुषी ने दावा किया कि उस की आंसर-की में 715 अंक थे. एनटीए ने इस त्रुटि पर कोई जवाब नहीं दिया है. आयुषी ने 4 जून को देर शाम जब रिजल्ट औनलाइन देखा तो उस में रिजल्ट जारी नहीं किया गया था. आंसर-की के अनुसार उस का केवल एक प्रश्न गलत था, इसलिए उसे 720 में से 715 अंक मिल रहे थे.
एनटीए से मेल पर संपर्क करने पर उसे फटी हुई ओएमआर शीट के बारे में बताया गया. आयुषी को समझ में नहीं आया कि उस की ओएमआर शीट कैसे फट गई, जबकि उस ने परीक्षा में बहुत सावधानी से ओएमआर शीट भरी थी. परीक्षा केंद्र पर तैनात लोगों ने भी सावधानी बरतते हुए उस की ओएमआर शीट जमा कर दी. आयुषी के मामा, जो पेशे से हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच में अधिवक्ता हैं, ने 4 जून को ही एनटीए को 3 लीगल नोटिस और 7 ई-मेल भेज कर आयुषी की ओएमआर शीट मेल पर मांगी थी. 24 घंटे बाद जब एनटीए का मेल नहीं आया तो आयुषी और उस के परिजन हैरान रह गए.
मेल पर भेजी गई ओएमआर शीट वाकई फटी हुई थी. आयुषी द्वारा भरी गई ओएमआर शीट के गोले भी साफ दिखाई दे रहे थे. आयुषी ने मांग की कि ओएमआर शीट फटी होने के लिए वह जिम्मेदार नहीं है और अगर ओएमआर शीट फटी भी है तो उस का रिजल्ट न रोका जाए. आयुषी ने इस मांग को ले कर हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच में याचिका दायर की है. जब तक हाईकोर्ट उस की ओएमआर शीट को ले कर कोई फैसला नहीं देता, तब तक नीट के जारी रिजल्ट पर आगे की प्रक्रिया रोकी जाए.