Solar : सोलर से रोशनी देने वाली लालटेन हो या लैंप, गांव की लड़कियों के जीवन को रोशन कर रहे हैं. लड़के भले ही पढ़ाई न कर रहे हों लेकिन लड़कियों को अब टेबरी और लालटेन की रोशनी से नजात मिल गई है. वे घर के अंदर सोलर की रोशनी में पढ़ाई कर रही हैं. सोलर से रोशनी देने वाले प्रोडक्टस औनलाइन भी खूब मिल रहे हैं. घर के बाहर लगने वाले खंभे भी आ गए हैं जिन को घर की छत और दीवारों पर लगाया जा रहा है. इन की कीमत 12 सौ रुपए से शुरू होती है.

लखनऊ के नंदौली गांव के अरुण सिंह बताते हैं, ‘हम ने खेत में सिंचाई के लिए सोलर पंप लगाया है. उस से हम अपने खेतों के साथ दूसरे के खेतों की भी सिंचाई करते हैं. आटाचक्की लगाई है. यह हमारे रोजगार का भी साधन बन गया है.’ सोलर पर सरकार 50 फीसदी अनुदान दे रही है. सोलर सिस्टम को और सस्ता व उपयोगी बनाने की जरूरत है. इस में इस्तेमाल की जाने वाली बैटरी की क्वालिटी अच्छी की जाए.

सोलर का सालदरसाल प्रयोग बढ़ता जा रहा है. 2014 में 2.82 गीगावाट से बढ़ कर 2019 में 28 गीगावाट, 2022 में 54 गीगावाट, 2024 में 81 गीगावाट और 2025 में 100 गीगावाट प्रयोग होने लगा है. जैसेजैसे सोलर से बने उत्पाद ज्यादा सस्ते व टिकाऊ और भरोसेमंद होंगे, जनता इन का और प्रयोग करेगी. सोलर पैनल चोरी होने की घटनाएं बढ़ रही हैं, दूसरी तरफ सोलर पैनल जल्दी खराब हो रहे हैं. इस तरफ ध्यान देना जरूरी है.

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