नरेंद्र ( स्वामी विवेकानंद) का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता (कोलकाता) में हुआ. उनके जन्म दिवस को ही हम युवा दिवस के रूप में मनाते हैं. बालक नरेंद्र बचपन से ही बहुत जिज्ञासु स्वभाव के थे और हर वक़्त सवाल करते रहते थे, इस पर कुछ लोग हंसते थे और कुछ मौन हो जाते हैं.
इत्तेफाक से एक दिन स्वामी परमहंस जी से उनकी मुलाकात हुई.. उन्होंने नरेंद्र के सभी प्रश्नों का जवाब दिया. स्वामी जी से धर्म, वेदांत, संस्कृति की शिक्षा लेकर प्रचार प्रसार करने निकल पड़े. इस बीच उनकी मुलाकात राजस्थान के राजा अजित सिंह से हुई, उन्होंने ही "विवेकानंद" नाम दिया और शिकागो में हो रहे विश्व धर्म सम्मेलन में भेजा. स्वामी विवेकानंद को शून्य काल में बोलने के लिए समय दिया गया था, मगर जब उन्होंने बोलना शुरू किया तो वहां मौजूद सभी देशों के लोग मंत्र मुग्ध हो गए. इसी विश्व धर्म सम्मेलन से उन्होंने बहुत ही कम उम्र में भारत को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई , इसलिए उनका जन्म दिवस "युवा दिवस" के रूप में मनाया जाता है. स्वामी विवेकानंद में गजब की वाक पटुता और तर्क शक्ति थी. स्वामी विवेकानंद युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं.. उनके आदर्श समाज, युवाओं के लिए मिशाल है. स्वामी विवेकानंद ने युवा शक्ति का केन्द्र शरीर के बजाय मन को माना है और मानसिक शक्तियों के विकास पर जोर दिया है. इसके लिए उन्होनें युवाओं को पथ प्रदर्शन भी किया है.
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उनका कहना है कि "महसूस करो कि तुम महान हो और महान बन जाओगे". भारत सर्वाधिक युवाओं वाला देश है और देश की दशा दिशा को बदलने के लिए युवाओं की सक्रियता बहुत जरूरी है. युवाओं को स्वामी विवेकानंद के मूल्यों, आदर्शों को समझने और प्रेरित होनी की जरूरत है.