लाश का सिर पूर्व की तरफ था, टांगें पश्चिम की ओर. आंखें बंद और मुंह खुला हुआ. दोनों पैर बिस्तर से नीचे लटके थे, जिन में जूती पहनी हुई थी. घटनास्थल को देख कर पहली ही नजर में लग रहा था कि अपराधियों को मृतका जानती थीं. उन्होंने बिस्तर से उठ कर पैरों में जूती पहनने के बाद इत्मीनान से मुख्य दरवाजे तक पहुंच कर कुंडी खोली होगी.
मृतका के सिर पर 2 गहरे घाव थे. खून बह कर बिस्तर पर फैल गया था. गरदन में सलवार का पोंहचा कस कर बंधा हुआ था. बैड पर ही करीब 8 वर्षीया लड़की की लाश भी पूर्व-पश्चिम दिशा में ही पड़ी थी. लाल रंग के ऊनी स्कार्फ से उस के गले पर भी कस कर गांठ बांध दी गई थी.
अंबाला के थाना बलदेवनगर के प्रभारी रामचंदर राठी ने फोन से मिली सूचना पर राजविहार क्षेत्र की उस कोठी में जा कर उक्त दर्दनाक मंजर देखा था. उस वक्त दिन के साढ़े 11 बज रहे थे.
कोठी के भीतरबाहर लोगों का हुजूम था.
‘‘थाने में फोन किस ने किया था?’’ राठी ने लोगों से पूछा.
‘‘जी सर, मैं ने किया था.’’ करीब 45 वर्ष के दिखने वाले एक सिख ने आगे आते हुए कहा.
उस ने खुद को राजविहार के साथ लगते गांव बरनाला पंजोखरा का सरपंच जसमेर सिंह बता कर आगे कहना शुरू किया, ‘‘अभी कुछ देर पहले मैं इधर से गुजर रहा था कि इस कोठी के सामने भीड़ देख कर रुक गया. दरियाफ्त करने पर कोठी में 2 कत्ल हो जाने का पता चला तो अपना फर्ज समझ कर मैं ने थाने में फोन कर दिया.’’