सी तापुर जिले के गांव नेवादा प्रेम सिंह में भगौती प्रसाद अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी रामबेटी के अलावा 3 बेटियां और एक बेटा था. रीना उन की सब से बड़ी बेटी थी. उन के पास खेती की अच्छीखासी जमीन थी, जिस की वजह से परिवार खुशहाल था.

भगौती प्रसाद ने 25 साल पहले अपनी बड़ी बेटी रीना की शादी सीतापुर के ही गांव माखूबपुर के रहने वाले विश्वनाथ उर्फ बबलू से कर दी थी. बबलू टैंपो चलाता था.

कालांतर में रीना 2 बच्चों की मां बनी. दोनों बच्चे बड़े हो चुके थे. बबलू पत्नी की ओर ज्यादा ध्यान नहीं देता था, जिस से रीना कुंठित सी हो गई थी. रीना की बहन गुडि़या का विवाह सीतापुर शहर के मोहल्ला सुंदरनगर के अवधेश से हुआ था. अवधेश भी टैंपो चालक था.

अवधेश था तो 3 बच्चों का बाप, लेकिन शरीर से हृष्टपुष्ट था. उस का रीना के घर आनाजाना लगा रहता था. अवधेश को अपनी पत्नी से वह प्यार नहीं मिल पाता था, जिस की उसे चाहत थी. रीना को वह पहले से ही पसंद करता था, इसलिए जब तब उस से मिलने आ जाता था.

एक दिन अवधेश रीना के घर गया तो विश्वनाथ घर पर ही था. वह विश्वनाथ से बोला, ‘‘मुझे यहां पास में ही काम मिल रहा है, इसलिए मुझे यहीं रहना पड़ेगा. अगर तुम्हें बुरा न लगे तो मैं कुछ दिन के लिए तुम्हारे घर में रह सकता हूं?’’

इस से पहले कि विश्वनाथ कुछ बोलता, रीना बोल बोल पड़ी, ‘‘जीजा, इस में पूछने वाली क्या बात है. इसे अपना ही घर समझो और जब तक चाहो, रहो.’’

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