5 अप्रैल की रात करीब 11.30 बजे दिल्ली के स्क्रैप व्यापारी शाहनवाज अपने दोनों बेटों के साथ घर लौट रहे थे. इस बात से बेपरवाह कि यह उन का आखिरी सफर साबित होगा. तुर्कमान गेट की भीड़ भरी संकरी सड़क पर उन की बाइक से एक कार में मामूली खरोंच आ गई. छोटी सी बात का बतंगड़ कुछ यों बना कि कार सवारों ने अपनी दबंगई और हैवानियत में शाहनवाज को पीटपीट कर मौत के घाट उतारने के बाद ही दम लिया. शाहनवाज ने अपने दोनों बेटों के सामने दम तोड़ा और वजह भी क्या, रोडरेज. राह चलते गाड़ी में हलकीफुलकी खरोंच, टेकओवर या साइड न मिलने के बहाने शुरू हुई कहासुनी जब जानलेवा रुख अख्तियार कर लेती है तो इस तरह की वारदात रोडरेज श्रेणी में आती है. इस रोडरेज की बला ने दिल्ली के शाहनवाज के परिवार को तबाह कर दिया. यह कोई पहली घटना नहीं है. आएदिन गांवकूचों से ले कर शहर तक की सड़कें रोडरेज की खूनी कहानियां बयां करती हैं. कुछ और बानगी देखिए :

5 मार्च, 2015 को हरियाणा में हिसार के सिंघवा राघो निवासी कुलदीप गोस्वामी अपनी पत्नी संतोष के साथ मेले से लौट रहे थे. उन के ट्रैक्टर के पीछे आ रहे कार सवार युवक ने साइड न मिलने पर अपनी कार ट्रैक्टर के आगे अड़ा कर उन दोनों को गोली मार दी. कुलदीप की तो मौके पर ही मौत हो गई जबकि संतोष के पैर में गोली लगने से वह गंभीर रूप से घायल हो गई. इस रोडरेज की वारदात ने एक हंसतेखेलते परिवार में मातम का जहर भर दिया.

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