नीट परीक्षा में धांधली मुद्दा देशव्यापी आंदोलन बन चुका है. केंद्र सरकार आरोपों को नकारती रही है लेकिन अब शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि दोषी बचने नहीं पाएंगे. इस का अर्थ यह है कि सरकार ने मान लिया है कि परीक्षा में गड़बड़ी हुई है.

विपक्षी दलों ने इस को मुद्दा बना लिया है जबकि सरकार के सहयोगी दल चुप्पी साधे हैं. नीट परीक्षा में गड़बड़ी का सब से अधिक प्रभाव बिहार पर पडा है. बिहार में केंद्र सरकार के सहयोगी दल चुप हैं, जो सत्ता के लिए असहज करने वाली हालत है.

नीट यूजी परीक्षा को ले कर चल रहे विवाद के बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पहली बार यह स्वीकार किया है कि परीक्षा परिणाम में कुछ गड़बड़ियां हुई हैं. जो भी बड़े अधिकारी इस में शामिल हैं, उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा, उन्हें दंडित किया जाएगा. कई लोग परीक्षा प्रक्रिया की विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं.
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “मैं अभ्यर्थियों और उन के अभिभावकों से कहना चाहता हूं कि घबराने की जरूरत नहीं है. एक भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होगा. सक्षम अधिकारी जांच कर रहे हैं. हम सभी को जांच पूरी होने का इंतजार करना चाहिए. सभी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लिए 8 जुलाई तक इंतजार करना चाहिए.”

धर्मेंद्र प्रधान ने आगे कहा, “सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है. फिलहाल 2 तरह की अव्यवस्थाएंसामने आई हैं. शुरुआती जानकारी थी कि कुछ अभ्यर्थियों को कम समय मिलने के कारण ग्रेस अंक दिए गए. इस के अलावा 2 जगह कुछ गड़बड़ियां सामने आई हैं. इसे सरकार ने गंभीरता से लिया है. हम सारे मामले को निर्णायक स्थिति तक ले जाएंगे. एनटीए में सुधार की जरूरत है. जो छात्र मिलना चाहते थे, मैं ने उन्हें बुलाया. मैं ने उन का पक्ष सुना. सभी छात्रों को आश्वासन है कि मामले में पारदर्शी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा.”

शुरुआत में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एनटीए का पक्ष लेते हुए पेपर लीक की बात को नकार दिया था. उन्होंने कहा था, “पेपर लीक के आरोपों को साबित करने के ठोस सबूत नहीं हैं. परीक्षा 4,500 से ज्यादा केंद्रों पर आयोजित की गई. उन में से सिर्फ 6 परीक्षा केंद्रों पर गलत प्रश्नपत्र बंटने की सूचना मिली थी. ऐसे में सिर्फ 6 केंद्रों के कारण हम पूरी परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठा सकते.”

बिहार में सब से अधिक बवाल:

बिहार में नीट में धांधली के कई प्रमाण मिले हैं. 30 लाख में नीट का पेपर बिक रहा था. बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने 13 लोगों को गिरफ्तार कर उन के पास से 6 पीडीसी (पोस्ट-डेटेड चेक) बरामद किए हैं. जिन के बारे में संदेह है कि ये माफिया के पक्ष में जारी किए गए थे. पिछले महीने आयोजित नीट परीक्षा से पहले कथित लीक प्रश्नपत्र की मांग करने वाले प्रत्येक अभ्यर्थी से 30 लाख रुपए से अधिक की मांग की गई थी.

ईओयू के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) मानवजीत सिंह ढिल्लो ने कहा, ‘जांच के दौरान ईओयू के अधिकारियों ने 6 पोस्ट-डेटेड चेक बरामद किए, जो उन अपराधियों के पक्ष में जारी किए गए थे, जिन्होंने कथित तौर पर परीक्षा से पहले उम्मीदवारों को प्रश्नपत्र उपलब्ध कराए थे. जांचकर्ता संबंधित बैंकों से खाताधारकों के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं. ईओयू ने कथित नीट-यूजी 2024 पेपर लीक मामले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया है. उन में 4 परीक्षार्थी और उन के परिवार के सदस्य शामिल हैं. उन्होंने बताया कि सभी आरोपी बिहार के हैं. ईओयू ने 9 अभ्यर्थियों (बिहार से 7, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से एक-एक) को भी जांच में शामिल होने के लिए नोटिस जारी किया है.
बिहार से केंद्र सरकार के सहयोगी जदयू नेता नीतीश कुमार और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान इस मसले पर चुप हैं. उन की परेशानी यह है कि अगर वे नीट की आलोचना करते हैं तो एनडीए की गठबंधन सरकार पर प्रभाव पडता है. अगर कुछ नहीं बोलते तो अगले साल बिहार विधानसभा का चुनाव है. ऐसे में युवाओं की नाराजगी झेलनी पड़ेगी.

दूसरी तरफ इंडिया ब्लौक के नेता लगातार बोल रहे हैं. राहुल गांधी सब से आगे आरोप लगा रहे हैं. वे छात्रों को यकीन दिला रहे है कि वे उन के साथ हैं. उन का ही असर है कि अब एनडीए सरकार की नींद टूटी है. शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यूटर्न लिया और छात्रों से वे मिलने भी लगे हैं. जिस तरह से बिहार के आम लोग इस परीक्षा से प्रभावित दिख रहे हैं, उन की नाराजगी झेलना आसन नहीं है. आम परिवारों के मन में यह धारणा बन गई है कि उस का बच्चा भी डाक्टर बन सकता है. ऐसे हसीन सपने नीट की धांधली से टूट रहे है.

परिवारों के टूटते हसीन सपने:

पैसे वाले लोग अपने बच्चों को विदेश में डाक्टरी पढ़ने को भेज दे रहे हैं या भारत के ही प्राइवेट कालेजों में पैसे खर्च कर के एडमिशन करवा लेते हैं. गरीब परिवार सरकारी कालेज के नाम पर नीट की परीक्षा देते हैं. परीक्षा में की जाती धांधली ऐसे पैरैंट्स के सपने तोड़ रही है. अपने बच्चों को डाक्टर बनाने के लिए कोचिंग और परीक्षा में लाखों रुपया पेरैंट कर्ज ले कर लगा देते हैं. वे परेशान हैं और सडकों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ओडिशा के रहने वाले हैं. इस वजह से उन की अपनी छवि भी प्रभावित हो रही है. ओडिशा और बिहार के अलावा गुजरात से भी धांधली के तार जुड रहे हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृहराज्य है. प्रमुख प्रदेशों के जुडने से सरकार की किरकिरी होने लगती है. अब लोगों ने सरेआम यह कहना शुरू कर दिया है कि एनडीए की यह सरकार ‘अंधेर नगरी चैपट राजा’ वाली है. गड़बड़ी अलगअलग स्तरों पर है.

केवल नीट परीक्षा में धांधली ही मुद्दा नहीं है. इस को आयोजित करने वाली संस्था एनटीए का काम भी पारदर्शी नहीं है. इन की वैबसाइट देखने पर ही गड़बड़ी दिखती है. एनटीए द्वारा ओएमआर शीट स्कैनर की खरीदारी की गई. इस के मौडल और उन की कीमत में लंबा अंतर दिखता है. ओएमआर शीट स्कैनिंग के लिए उपयोग किए जाने वाले मल्टीपल शीट फेड स्कैनर के सब से सस्ते मौडल की कीमत लगभग 10 हजार रुपए है. यह मल्टी फीड पेपर स्कैन करता है. इस की गति प्रति मिनट 5 से 10 पेज होती है. यह मशीन एक समय में लगभग 1,000 शीटों के लिए सही होती है.

प्रोफैशनल रेंज में ओएमआर शीट स्कैनिंग के लिए हाई स्पीड एडीएफ इमेज स्कैनर या डौक्यूमैंट स्कैनर की कीमत सीमा 20 हजार से 1 लाख 50 हजार रुपए है. यह हाईस्कैनर लगभग 80 से 120 पेज प्रति मिनट की गति से स्कैन करता है. एचपी, कैनन, सैमसंग, एप्सों, फुजित्सु, एविजन, क्योसेरा और प्लस्टेक जैसे तमाम ब्रैंड्स के मौडल उपलब्ध हैं. हाईस्पीड प्रोफैशनल स्कैनर जो 20 से 150 पेज प्रति मिनट स्कैन करता है, की कीमत सीमा 20 हजार से 2 लाख रुपए तक होती है.

एनटीए ने बड़ी संख्या में ऐसे स्कैनर लिए होंगे. इस की पारदर्शी जानकारी उपलब्ध नहीं है. ऐसे में इस की खरीदारी में भी गड़बड़ी संभव है. ऐसे में जरूरी है कि नीट परीक्षा के साथ ही एनटीए की भी गहन जांच हो, तभी दूध का दूध और पानी का पानी हो सकेगा.

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