कहते हैं कि मां का आंचल किसी नवजात के लिए सब से महफूज जगह होती है और अगर कोई उसी आंचल में सुकून से दूध पीते किसी 12 दिन के बच्चे को जबरदस्ती खींच कर ले जाए और मार डाले तो उस मां पर क्या बीतेगी, यह सोच कर ही बदन में सिहरन पैदा हो जाती है. और अगर यह कांड कोई गुस्साया बंदर करे तो?

जी हां, ऐसा ही हुआ है. दरअसल, पूरे देश की तरह उत्तर प्रदेश की ‘ताज नगरी’ आगरा में भी बंदरों ने आतंक मचा रखा है. वहां पर लोगों के हाथों से खानेपीने का सामान छीन कर बंदरों के भागने की घटनाएं रोज होती हैं. कभीकभार तो बंदर इतने ज्यादा मस्तीखोर हो जाते हैं कि बाहर छत पर सूख रहे कपड़ों को भी फाड़ डालते हैं. ज्यादातर लोग उन्हें डंडे का डर दिखा कर भगा देते हैं पर उन का कोई स्थायी इलाज नहीं ढूंढ़ते हैं.

लेकिन इस बार तो हद ही हो गई. सोमवार, 12 नवंबर, 2018 को आगरा में एक बंदर ने 12 दिन के नवजात बच्चे को अपना दूध पिला रही एक मां से छीन लिया और उसे मार डाला.

पुलिस ने बताया कि आगरा के रुनकता इलाके में कछारा ठोक कॉलोनी में योगेश का घर है जो एक ऑटोरिक्शा ड्राइवर हैं. उस की नेहा से 2 साल पहले शादी हुई थी और उन दोनों के घर में 12 दिन पहले ही एक बेटे ने जन्म लिया था.

नेहा सोमवार की रात को अपने उस बच्चे आरुष उर्फ सनी को दूध पिला रही थी. योगेश ने बताया कि घर का दरवाजा खुला था. तभी एक बंदर अचानक घर के अंदर घुस आया. बच्चे को दूध पिलाने में मगन नेहा कुछ समझ पाती इस से पहले ही बंदर ने आरुष को उठा लिया और बाहर की ओर भागा.
नेहा भी चिल्लाती हुई उस बंदर के पीछे भागी. बंदर भाग कर पड़ोसी की छत पर चढ़ गया और बच्चे को पटकने लगा.

नेहा के रोनेचिल्लाने की आवाज सुन कर लोग घरों से बाहर निकले. सब ने बंदर को हड़काया तो वह आरुष को वहीं फेंक कर भाग गया.

नेहा ने बताया कि आरुष की गरदन से काफी खून बह रहा था. वे लोग उसे पास के एक प्राइवेट अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

इस घटना से गुस्साए लोगों ने बताया कि आरुष को मारने से पहले एक बंदर ने उसी इलाके की एक 14 साल की बच्ची पर भी हमला किया था जिस में उसे काफी चोटें आई थीं.

लोगों ने यह भी बताया कि इसी इलाके में कुछ दिनों पहले एक बंदर ने एक नवजात बच्चे पर हमला किया था. हालांकि उस बच्चे को बचा लिया गया था.

देशभर में बंदरों के आतंक की घटनाएं देखनेसुनने को मिलती हैं. हरियाणा के रोहतक शहर में बंदरों का आतंक इतना ज्यादा है कि ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब कोई उन के हमले का शिकार नहीं बनता है.
वहां के सैक्टर 2 में एक नया मकान बन रहा था जिस की तराई करते समय उस मकान के चौकीदार को कुछ बंदरों ने आ कर घेर लिया. जब तक पड़ोस के मकान से लोग दौड़ कर पहुंचे, तब तक उस चौकीदार को बंदरों ने हाथ, कमर, जांघ में काट खाया था. हजारों रुपये खर्च करने पड़े, तब जा कर चोट ठीक हुई थी.

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बहुत से लोग यह सोच कर जाते हैं कि अगर उन की यहां मौत हुई तो उन्हें बिन मांगे मोक्ष मिलेगा. पर यहां उन का सामना होता है उन बंदरों से जो वहां के मंदिरों में रहते हैं. वजह, उन्हें यहीं पर बहुत से भक्तों के द्वारा खानापीना मिलता रहता है.
लेकिन जब बंदरों का पेट भर जाता है तो वे उत्पात करने में भी पीछे नहीं रहते हैं. तथाकथित हाईटेक हो रहे वाराणसी शहर में बंदर फाइबर ऑप्टिक तारों से लटकेझूलते भी रहते हैं. यहां तक कि वे तारों को खा भी जाते हैं.

असली समस्या तो तब आती है जब नगरनिगम वाले इन्हें भगाने आते हैं पर भक्त इस बात से नाराज हो जाते हैं कि उन के तथाकथित देवता पर जुल्म क्यों ढाया जा रहा है.

देश की राजधानी नई दिल्ली का रक्षा मंत्रालय तक बंदरों की उछलकूद से परेशान है. वहां बंदरों को दूर भगाने के लिए सुरक्षा कर्मियों का सहारा लिया जाता है. दिल्ली के कई और इलाके भी बंदरों के आतंक से पीड़ित हैं पर उन की कहीं सुनवाई नहीं होती है.

देश के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जब साल 2014 में वृंदावन गए थे तब बंदरों से उन की हिफाजत के लिए 10 लंगूर भी साथ ले जाए गए थे. मतलब हमारे देश का प्रथम नागरिक भी इन उछलतेकूदते तथाकथित देवताओं के प्रकोप का मारा है.

एक अंदाजे के मुताबिक, वृंदावन में तकरीबन 2 लाख बंदर हैं. ये बंदर भक्तों से प्रसाद, चश्मे, मोबाइल और कैमरे वैगरह छीन लेते हैं. ज्यादा गुस्सा हो जाएं तो काट भी खा लेते हैं.

आतंक का दूसरा नाम बनते जा रहे बंदरों को भागने के लिए अब बहुत से लोग पैसे खर्च कर के लंगूर का सहारा लेने लगे हैं पर यह भी महंगा और कोई स्थायी इलाज नहीं है.

दरअसल, अब शहरों के आसपास जंगल खत्म हो गए हैं और इसी वजह से बंदर अपनी टोलियों में शहर में आ धमकते हैं. बहुत से शहर तो बंदरों से ही मशहूर हो गए हैं.

चूंकि कुछ धार्मिक आस्थाओं के चलते लोग बंदरों को खानेपीने की चीजें देने लगते हैं जिस से वे उसी इलाके में हिलमिल जाते हैं और बाद में वहीं पर आतंक मचाना शुरू कर देते हैं. यह आतंक कभीकभार इतना दुखदाई हो जाता है कि एक मां को अपना बच्चा तक खोना पड़ जाता है. और यह घटना पहली नजर में जितनी छोटी लगती है उतनी है नहीं, बस थोड़े से भावुक हो कर सोचिए कि इस में आयुष की क्या गलती थी?

बंदर काटे का इलाज

बंदर के काटने को हलके में मत लीजिए क्योंकि कुत्ते बिल्ली जैसे जानवरों की तरह बंदर के काटने से भी रेबीज जैसी खतरनाक बीमारी होने का खतरा बना रहता है, इसलिए इस का इलाज कराने में देरी नहीं करनी चाहिए.

अगर बंदर काट ले तो तो ये उपाय जरूर करें:

• घाव को साबुन से अच्छी तरह 10 से 15 मिनट तक धोएं.

• घाव पर साफ़ कपड़ा बांधें.

• बिना देरी किए अस्पताल पहुंचे और इलाज करवाएं.

• एंटी रेबीज टीका जरूर लगवाएं.

• आप को काटने वाला बंदर भविष्य में किसी और पर भी हमला बोलता है तो इस बात की सूचना डॉक्टरों को दें.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...