हर वर्ष 26 जून को 'अन्तर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस ' मनाया जाता है. नशीली वस्तुओं जी बी एवं मदिरापान निवारण के लिए 'सयुंक्त राष्ट्र महासंघ' ने 7 दिसंबर 1987 को यह पारित किया था. और तब से हर साल लोगों को नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाले दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है.

छत्तीसगढ़ में शराब सेवन आजकल महिलाओं में भी अधिक रुप से देखने को मिल रहा है . सामान्यतः लोग यह सोचते हैं कि महिलायें आखिर शराब सेवन कैसे कर सकती हैं. वे तो एक सशक्त गृहिणी एवं कार्यों में लीन रहती हैं. परिवार, बच्चे, रिश्तेदार और घर सम्भालने में व्यस्त रहती हैं. किन्तु इस  सोंच को कुछ विकृत मानसिकता पीछे छोड़ रही हैं. पुरुष से बराबरी और कदम से कदम मिलाकर चलने का अर्थ महिलायें कुछ अन्य ही अर्थ से लगा रही हैं.

छत्तीसगढ़ के लगभग सभी 27 जिलों में महिलाओं एवं युवतियों  में शराब का सेवन अधिकतर रुप से किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ राज्य  इसमें कताई पीछे नहीं है. यहां हर 2 घर के बाद तीसरे घर में परिवार की कम से कम 1 महिला या युवती शराब का सेवन कर रही है.

महिलाओं में शराब की बढ़ते प्रचलन के कारण व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन में तनाव उत्पन्न हो रहा है. दाम्पत्य जीवन में प्रेम, उल्लास, उत्साह और आपसी तालमेल में कमी हो रही है जिसके कारण परस्पर विरोध और विवाद का वातावरण विद्यमान हो रहा है. अनेक  दम्पतियों के बीच मतभेद इतने बढ़ गये कि तलाक तक हो चुके हैं.

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