Police Raids : हुक्का बार पर पुलिस के छापे क्यों पड़ते हैं ? असल में जो हुक्का बार आपसी मेलजोल बढ़ाने वाली जगह है. यह बार और नाइट क्लब से अलग होते हैं.
लखनऊ के में विकासनगर पुलिस ने ब्लैक शैडो कैफे की आड़ में चल रहे अवैध हुक्का बार पर छापा मार कर एक नाबालिग समेत 12 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस का आरोप है कि हुक्का बार में नाबालिगों को हुक्का परोस कर नशे का आदी बनाया जा रहा था. पुलिस ने मौके से 3 हुक्का, चिलम, पाइप, फ्लेवर तंबाकू बरामद किया. संचालक राधेलाल फरार हो गया था. पुलिस जब कैफे पहुंची तो वहां का नजारा भी कुछ अलग था. पुलिस को देख कर हुक्का बार में मौजूद लोगों के बीच भागदौड़ मच गई. पुलिस कहती है कि इस बार में कई बार स्कूली ड्रैस में बच्चे आते देखे गए थे.
लखनऊ में पुलिस कई अलगअलग हुक्का बार पर छापे मार चुकी है. इस से पहले 16 जनवरी को बाजाराखाला के होटल कासा में हुक्का बार पकड़ा गया था. 23 जनवरी को विकासनगर में कैफे ब्लैक एंपायर सील किया गया. 24 जनवरी को इन्दिरानगर नीलगिरी तिराहे के ब्लैकयार्ड बाई लक्स रेस्टोरेंट सील किया गया. 13 फरवरी को आईटी कालेज चैराहे के पास गार्डन कैफे पर छापा मारा गया था. 22 फरवरी को गोमतीनगर के पेबल्स बिस्ट्रो कैफे में हुक्का बार के शराब पिलाई जा रही थी. 27 फरवरी को आईआईएम रोड स्थित डार्क हाउस कैफे में छापेमारी कर संचालक समेत 3 को पकड़ा था. इस तरह की घटनाएं पूरे देश के बड़े शहरों में हो रही है.
पुरानी है हुक्का संस्कृति
हुक्का लाउंज या हुक्का बार का चलन बहुत पुराना है. भारत के कई राज्यों में हुक्का एक बड़ी संस्कृति का हिस्सा है. यह हुक्का मिट्टी का बना होता है. आज भी कई समुदायों में खुलेआम हुक्का पीने की पंरपरा है. जहां गांव की चैपाल में मुखिया हुक्का पीता है. हुक्का के अंदर तंबाकू होता है. तंबाकू को गरम करने के लिए कोयले रखे जाते हैं. हुक्के से जुड़ा होता है. जिस के जरीए तंबाकू को मुंह से खींचा जाता है. उस के साथ गांव के लोग भी उसी हुक्के से कश लेते हैं.
कई जातियों में पंचायत के फैसले में दंड के रूप में हुक्का पानी बंद करने की रवायत है. इस का मतलब यह होता है कि उस व्यक्ति का सामाजिक बहिष्कार किया गया है. हुक्का महिलाएं भी पीती हैं. हरियाणा और राजस्थान के तमाम समुदायों में महिला प्रमुख भी इस का उपयोग करती है. कई फिल्म और टीवी सीरियलों में ऐसे दृष्य देखे गए हैं. अब कुछ जगहों पर शादी विवाह की दावतों में भी हुक्का अनिवार्य होने लगा है.
हुक्का की यह पंरपरा मुगल काल में नवाबी संस्कृति से जुड़ी रही है. यह हुक्के ग्लास यानि शीशे या चांदी सोने जैसी धातुओं से तैयार होते थे. इस की शुरुआत प्राचीन फारस या भारतीय उपमहाद्वीप में हुई थी. तवायफों के कोठो पर राजा, नवाब और जमींदार हुक्के के कश लेते हुए नृत्य और संगीत का आनंद लेते थे. धीरेधीरे यह पश्चिमी देशों में पहुंच कर बाजार का हिस्सा हो गई. यहां हुक्का लाउंज के नाम से पहचाने जाने लगे. हुक्का लाउंज को ब्रिटेन और कनाडा के कुछ हिस्सों में शीशा बार या डेन या हुक्का बार भी कहा जाता है. यहां हर टेबल पर हुक्के रखे होते हैं. इस में सुगंधित तम्बाकू होती है.
अब हुक्का बार रेस्तरां या नाइट क्लब जैसे हो गए हैं. यह धूम्रपान करने के लिए एक आरामदायक जगह है. इस के साथ ही साथ यहां खाने पीने की सामाग्री भी मिल जाती है. इन का इंटीरियर भी अलग किस्म का होता है. रोशनी कम से कम होती है. कई हुक्का बार में तंबाकू युक्त हुक्का होता है तो अधिकतर जगहों पर फ्लेवर्ड तंबाकू होती है. तंबाकू नियंत्रण कानूनों के कारण के कारण यहां पर कई बार पुलिस को छापा मारने का अधिकार मिल जाता है. हुक्का बार को इस कारण सरकार से लाइसेंस लेना पड़ता है.
ब्रिटेन में हुक्का सब से ज्यादा लेबनानी, पाकिस्तानी या मिस्र के लोगों द्वारा चलाए जाते है. 2007 में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध के बाद से हुक्का बार की संख्या बढ़ने लगी है. अब यह युवाओं के बीच में भी काफी लोकप्रिय हो रहे हैं. हुक्का बार अब मनोरंजन का भी साधन बन गए हैं. कई कैफे और रेस्तरां में भी अलग से हुक्का बार बनाया जाने लगा है. हुक्का बार में प्रवेश के लिए आयु का भी कानून है.
21 साल से कम उम्र के लोगों का प्रवेश कानून बंद होता है. असल में स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या भी बढ़ने लगी है. कालेज परिसरों और आस पास के शहरों में कम दूरी पर हुक्का बार खोलना कानून प्रतिबंधित है. इस के पीछे कारण यह है कि युवा पीढ़ी को नशे से दूर रखा जा सके. खाद्य एवं औशधि प्रशासन ने सिगरेट और अन्य प्रकार के तम्बाकू के साथ साथ हुक्का तम्बाकू को भी नियत्रिंत करना शुरू कर दिया है. कई बार हुक्का बार खोलने वाले इस कानून का पालन नहीं करते हैं. जिस की वजह से पुलिस को यहां पर छापा मारना पड़ता है.
युवाओं को क्यों पसंद आता है हुक्का बार
हुक्का बार तीन या चार दोस्तों के साथ एक टेबल पर बैठने और हल्की रोशनी और मधुर संगीत में एक आरामदायक समय बिताने का सुखद स्थान है. हुक्का बार एक बार या नाइट क्लब नहीं है. नाइट क्लब और हुक्का में थोड़ा अंतर होता है. जिस तरह से चैपाल पर हुक्के के सहारे समाज के कई लोग बैठते थे और अपास में बातचीत करते थे उसी तरह से अब हुक्का बार लोगों के बैठने की जगह बन गए है. हुक्का लाउंज युवा लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. युवाओं में हुक्का बार विचारों का आदान प्रदान करने और वाली आरामदायक जगह मानी जाती है.
हुक्का बार आम तौर पर एक शांत और अधिक अंतरंग वातावरण प्रदान करता है जहां लोग शराब और तेज संगीत के बिना हुक्का और बातचीत का आनंद ले सकते हैं. हुक्का पीना एक सामाजिक गतिविधि जैसी होती है. इसलिए दोस्तों के समूह के लिए हुक्का साझा करना आम बात है. इस में एक ही हुक्का से बारी बारी से धूम्रपान करते हैं. ऐसे में युवा अपने दोस्तों के साथ वहां जाते हैं. समय बिताते हैं. कई बार युवा फ्लेवर्ड वाले तंबाकू का सेवन करते हैं. जिन में तंबाकू जैसा नशा नहीं होता है. इस के बाद भी जब पुलिस छापा मारती है तो यहां के युवाओं को भी थाने ले जाती है.
कड़े हो रहे कानून
यूपी सरकार तंबाकू उत्पादों पर लगातार शिकंजा कसती जा रही है. यूपी में अवैध हुक्का बार चलाने पर तीन साल तक की जेल और 50 हजार से ले कर एक लाख तक जुर्माना लगाए जाने का प्राबधान बन गया है. यूपी सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध, व्यापार, वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय व वितरण) एक्ट में संशोधन के बाद अवैध हुक्का बार के संचालन पर तीन साल तक की जेल की सजा होगी. सरकार ने तंबाकू सेवन की न्यूनतम उम्र 18 साल से बढ़ा कर 21 साल कर दी है.
प्रदेश में अभी हुक्का बार खोलने के लिए फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड एक्ट के तहत लाइसेंस लेना होगा. अब रेस्टोरेंट में हुक्का बार नहीं खुल सकते. इस के लिए अलग से लाइसेंस लेना होगा. किसी भी सार्वजनिक स्थल या रेस्टोरेंट जहां लंच या डिनर की व्यवस्था होगी वहां हुक्का बार संचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी. हुक्का बार की आड़ में नशीली चीजों का इस्तेमाल करने पर रोक है. इस कानून से पुलिस या खाद्य व औशधि विभाग में सब इंस्पेक्टर स्तर तक के अधिकारियों के अधिकार बढ़ा दिए गए है. जिन का दुरूपयोग शुरू हो रहा है. अब यह कानून की आड में कमाई के साधन बनते जा रहे हैं.