विश्व बैंक की नई रिपोर्ट के अनुसार दुनिया का कोई भी देश महिलाओं को कार्यबल में पुरुषों के समान अवसर नहीं देता है. वैश्विक लिंग अंतर पहले की तुलना में आज कहीं अधिक व्यापक है. इस अंतर को कम करने से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ सकता है. वीमेन, बिज़नैस एंड द लौ रिपोर्ट के 10वें संस्करण में पहली बार कानूनों और उन्हें लागू करने के लिए बनाई गई नीतियों के बीच अंतर का आकलन किया गया.

इस में पाया गया कि कुल 95 देशों ने समान वेतन पर कानून बनाए हैं लेकिन केवल 35 देशों में वेतन अंतर को लागू करने के लिए उपाय मौजूद थे. वैश्विक स्तर पर महिलाएं एक पुरुष द्वारा अर्जित प्रत्येक डौलर का केवल 77 सेंट कमाती हैं.

दरअसल कानून तो बन जाते हैं मगर इन्हें कई दफा क्रियान्वित ही नहीं किया जाता. एक तरफ इन्हें लागू करने की उचित व्यवस्था का अभाव है तो दूसरी तरफ खुद महिलाओं की जागरूक मानसिकता और इच्छाशक्ति में कमी है. बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के मुद्दे विशेष रूप से महिलाओं की काम करने की क्षमता को प्रभावित करते हैं. हिंसा शारीरिक रूप से उन्हें काम पर जाने से रोक सकती है और बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी उन्हें अपने कैरियर के विरुद्ध फैसले लेने को मजबूर करते हैं.

विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंदरमीत गिल के अनुसार पूरी दुनिया में भेदभावपूर्ण कानून और प्रथाएं महिलाओं को पुरुषों के बराबर काम करने या व्यवसाय शुरू करने से रोकती हैं. इस अंतर को पाटने से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद 20 फीसद से अधिक बढ़ सकता है.

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