इंडिया ब्लौक ने फीनिक्स पक्षी की तरह अपने पंख दोबारा खोले तो हैं लेकिन उड़ान वह कहां तक कर पाएगा, यह कहना मुश्किल है. जिस पौराणिक माहौल में भाजपा 400 पार का दम भर रही है, लोकतांत्रिक माहौल के तहत विपक्ष उसे कितनी चुनौती दे पाएगा, यह भी अगर मुट्ठीभर सवर्णों को ही तय करना है तो यह चुनाव कतई दूसरे मुद्दों के इर्दगिर्द नहीं होने वाला.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की न्याय यात्रा का उत्तर प्रदेश में आखिरी पड़ाव आगरा था जहां की टेढ़ी बगिया में सुबह से ही समाजवादी पार्टी के और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया था. दोपहर होतेहोते इलाके में पांव रखने की भी जगह नहीं बची थी. चारों तरफ ?ांडे ही ?ांडे नजर आ रहे थे जिन से 22 जनवरी के अयोध्या इवैंट के दौरान लगाए भगवा ?ांडे एक हद तक छिपने लगे थे. सपा और कांग्रेस के ?ांडों के साथसाथ दलितों वाले नीले ?ांडे एक नई जुगलबंदी की चुगली कर रहे थे जो अब बसपा के साथ भाजपा के लिए चिंता की बात हो सकती है.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सभा में पहुंचते ही नारेबाजी शुरू हो गई और सपा कार्यकर्ताओं की अखिलेश तक पहुंचने की होड़ में मंच की रेलिंग टूट गई जो ऐसे आयोजनों में सफलता की निशानी मानी जाती है. आधा घंटे बाद राहुल और प्रियंका गांधी भी पहुंचे. राहुल और अखिलेश के गले मिलते ही यह साफ हो गया कि टूटने के बाद अब एक बार फिर इंडिया गठबंधन आकार ले रहा है. राहुल और अखिलेश के जयजयकार के नारों के दौरान भीमराव अंबेडकर की जय के भी नारे लगे जिस से जाहिर है कि बड़ी तादाद में दलित भी इस सभा में आए थे.

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