आजाद भारत में मजदूरो के विकास के लिए सरकारी तौर पर कई कानून बनाई गए और समय-समय पर मजदूरो के विकास के लिए विभिन्न नीति-निर्देश और  योजना बनाई जाती है. फिर भी मजदूरो का विकास नही हो रहा है। सबसे बदतर स्थिति बाल एवं महिला मजदूरो की है.बच्चों महिला श्रमिकों का आर्थिक और शारीरिक रूप से भी जमकर शोषण किया जाता है. इन बातो से सब आवगत है, लेकिन मजदूरो के नाम पर राजनीतिक और नारेवाजी करने के आलावा कोई कुछ खास करता नजर नही आता है.तो आइये पांच - पांच  विन्दुओं  के माध्यम से दोनों के दशा के बारे  में जानते है.

 1.समाज महिलाओं के लिए दो वर्गो में बता हुआ है :- भारत एक ऐसा देश है, जहँ नारी की तुलना देवियां से की जाती है. जिस देश की प्रधानमत्रीं एक महिला रह चुकी है एवम् वर्तमान लोकसभा वित मंत्री भी एक महिला ही है. वही महिला मजदुरी जैसे शब्द बहुत कष्ट्र पुहचाती हैं.आज महिलाओ ने हर क्षेत्र में अपनी एक पहचान बनाई है. महिला वह हर कार्य कर रही है जो पुरूष वर्ग कर रहे है, लेकिन एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि महिलाओं का एक हिस्सा अपना पेट भरने तथा अपना घर चलाने के लिए मजदुरी भी कर रही है. अगर  समाज पर एक पैनी निगाह डाली जाए तो हमें पता चलेगा कि  हमारे देश में महिलाओं की क्या दशा है?  अगर यह कहा जाए कि आज के समय में हमारा समाज महिलाओं के लिए  दो वर्गो में बट गया तो शायद गलत ना होगा. पहला वर्ग वो है जिसमें महिलाए पढी लिखी और सशक्त हैं, समय के साथ चलने वाली है तथा दुसरा वर्ग वह है जिसमें महिलाए पूरा दिन दो पैसे कमाने के लिए मेहनत मजदूरी करती है और अपने घर का गुजर बसर चलाती हैं औेर अपना जीवन मजदूरी कर के निर्वाह करती हैं.महिला  मजदूरी शब्द सुनने में जितना दुखदायी है, किसी समाज और राष्ट्र के लिए उतना ही कष्ट्रकारी भी है.

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