भारत में सिर्फ कोरोना वायरस ही नहीं है जो तेजी से फैल रहा है, बल्कि झूठी खबरों और अफवाहों की रफ्तार कोरोना वायरस को भी मात दे चुकी है. हर तरफ से आने वाली झूठी खबरें न केवल लोगों को सच देखने से रोक रही हैं, बल्कि उन की सोचनेसमझने की शक्तियों पर भी पाबंद लगा देती हैं जिस से उन के लिए सही और गलत में अंतर करना मुश्किल हो जाता है.

अफवाह और अराजकता

बीते दिनों नोएडा के रहने वाले राजेश को फेसबुक पर इंडिया टीवी के स्टाफ को ले कर झूठी खबरें फैलाने के जुर्म में पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया.

राजेश ने अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर लिखा,"इंडिया टीवी के 20 कर्मचारियों को कोरोना वायरस हो गया है. यदि आप इंडिया टीवी के औफिस के आसपास रहते हैं तो सावधानी बरते और संभल कर रहें."

इंडिया टीवी ने अपने कर्मचारियों को ले कर इस अफवाह के संदर्भ में झूठी खबर फैलाने के लिए राजेश के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई. जाहिरतौर पर यह अफवाह जी न्यूज के कर्मचारियों के कोरोना संक्रमित होने के आधार पर फैलाई गई.

मिजोरम में 15 लोगों को फेक खबरें वायरल करने पर गिरफ्तार किया गया जिस में लिखा था कि राज्य से बाहर के लोग जल्द से जल्द वापस आ जाएं. राजस्थान के एक हैल्थकेयर कर्मचारी को कोविड-19 के झूठे आंकड़े पोस्ट करने पर हिरासत में लिया गया. ओडिशा में एक आदमी को फेसबुक पर अन्य व्यक्ति को कोरोना से संक्रमित होने की झूठी खबर पोस्ट करने पर गिरफ्तार किया गया. इस शख्स का कहना था कि उसे यह खबर व्हाट्सऐप पर मिली थी.

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