लेखिका – राजश्री राठी

वर्तमान युग में लड़कालड़की को बचपन से ही एक समान परवरिश मिल रही है. समय के साथसाथ सोच बदलते गई और आज लड़कियां पढ़लिख कर इस‌ मुकाम पर पहुंच गई हैं, जहां वह अपनी काबिलियत से अपनी अलग पहचान बनाते हुए आत्मनिर्भर बन गई. पुरातन काल में अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए महिलाएं घरपरिवार पर निर्भर रहती थीं. बचपन से कुछ बंदिशें रहती जिस के चलते उन्हें मजबूरी में शोषण का शिकार होना पड़ता था. अधिकांश संयुक्त परिवारों में पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते महिलाओं की भीतर छूपी कला पर, उन की प्रतिभा पर धूल की परत जमते हुए देखा है और उन की इच्छाएं दम तोड़ देती हैं, वहीं विभक्त परिवारों में अरमानों के आशियां को संवरते हुए देखा है, जिंदगी को मुसकराते हुए देखा है.

राशी बचपन से ही मेधावी सर्वगुण संपन्न थी, दिखने में भी नाजुक सी, पिता ने संपन्न संयुक्त परिवार में यह सोच कर शादी कर दी की वहां उन की बेटी को किसी तरह का अभाव नहीं रहेगा और बड़ों की छत्रछाया में वो सुरक्षित रहेगी किंतु वास्तविकता कुछ और ही थी. पारिवारिक सदस्य अत्याधिक पुरानी सोच वाले कंजूस थे. सारा दिन घर के कामों में ही समय बीत जाता. उस के जीवनसाथी का व्यवसाय अच्छा था पर पूरी कमाई उन्हें अपने पिता को सौंपनी पड़ती जिस के चलते उस की निजी आवश्यकताएं भी पूरी नहीं हो पाती. पारिवारिक वातावरण का उन के निजी संबंधों पर गहरा असर हुआ और इसी कारण वह अवसाद का शिकार हुई.

महत्वाकांक्षी अनन्या कुशाग्र बुद्धि की स्वामिनी थी. भरा पूरा परिवार किसी चीज का अभाव नहीं था. नौकरचाकर की कहीं कोई कमी नहीं थी. समस्या यह थी रोजाना ही घर में आनेजाने वालों का ताता लगा रहता जिस के चलते वह अपने बच्चों को समय नहीं दे पाती. सुखसुविधा के चलते बच्चों में परिश्रम करने की आदत नहीं लग पाई. पढ़ाई में हमेशा ही वह पीछे रहे और बच्चे सभी तरह की गलत आदतों के शिकार हुए. जिस परिवार में उसे अपने समय की आहुति देनी पड़ी आज उसी परिवार के सदस्य उस के बच्चों पर उंगलियां उठाने लगे. समय हाथ से निकल गया और वह मन मसोस कर रह गई कि काश वह अलग रहती तो आज बच्चों का भविष्य कुछ और ही होता.

35 वर्षीय राजवीर की पत्नी स्वधा विभक्त परिवार से आई थी विवाह के 7 वर्ष हो चुके थे पर वह संयुक्त परिवार में सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाई. दादादादी अकसर राजवीर के पास उस के पत्नी की शिकायतों का पिटारा खोल देते. उन्हें उस के रहनसहन से ले कर बोलचाल तक हर बात में आपत्ति थी. इधर स्वधा हमेशा ही परिवार का तिरस्कार करते हुए नजर आती और अपने किस्मत को कोसती. कई बार जान‌ देने की धमकी तक देती. सब से परेशान हो कर राजवीर एक दिन गुस्से में घर से निकला जो आज तक नहीं लौटा पारिवारिक सदस्यों को नहीं पता वह जिंदा है या मृत.

मल्टीनैशनल कंपनी में कार्यरत अक्षदा ने यह सोच कर अमय से विवाह किया की वह पढ़ालिखा है और पढ़ाई की महत्ता को समझता है इसलिए संयुक्त परिवार में रहने के बावजूद भी उस ने इस विवाह के लिए स्वीकृति दे दी. किंतु यहां आने पर पारिवारिक सदस्यों द्वारा उस से ढेरों अपेक्षाएं रखी गईं. वह घर में आदर्श बहू भी बने और पैसा भी कमाए, जबकि अमय को सभी सुखसुविधाओं में रखा जाता. इस तरह का भेदभाव अक्षदा सहन नहीं कर पाई और न ही अमय ने परिवार का विरोध किया. जब कि घरेलू कामकाज नौकरोंचाकरों की सहायता से भी हो सकते थे. आखिर सब से तंग आ कर अक्षदा ने तलाक के लिए अर्जी दे दी.

माधव का फ्रैंड सर्कल बहुत बड़ा है और आएदिन सभी किसी न किसी बहाने उन्हें घर बुलाते रहते हैं. चूंकि सभी विभक्त परिवार में रहते हैं तो उन्हें स्वतंत्रता रहती है हम उम्र साथियों के साथ हंसीमजाक करने की. कपल गेम का सभी आनंद लेते हैं किंतु माधव अपने घर किसी को बुला नहीं पाता, कभी कोई आयोजन कर भी ले तो बड़े लोग वहीं जमे रहते हैं जिस से आनेवाले असुविधा महसूस करते हैं और वह पतिपत्नी भी आयोजन का लुत्फ नहीं उठा पाते. इस बात को ले कर दोनों में तूतूमैंमैं होते रहती है.

सुख का आशियां इच्छाओं को अनंत आकाश

स्वयं को निखारने के मिलते अवसर

विभक्त परिवारों में महिलाओं को अपने भीतर छिपी कला को उजागर करने के स्वच्छंद जीवनयापन करने के अवसर आसानी से मिल जाते हैं. घरेलू कामकाज में अपना कीमती समय गंवाने से बेहतर वह आय के नएनए स्त्रोत खोजती हैं और उन्हें अंजाम भी देती हैं. घरेलू कामकाज हेल्पर की सहायता से आसानी से हो ही जाते हैं. परिवार में दोतीन सदस्य रहते हैं सभी एकदूसरे की व्यस्तता और रूचि को समझते हैं, अनावश्यक रूप से कोई भी किसी के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करते.

कला के अनेक पर्याय हैं, विभक्त परिवारों में सीमित कामकाज रहने से महिलाओं को अपनी रूचि को विकसित करने का पर्याप्त समय और सुविधाएं आसानी से मिल जाती है और जब हम अपनी रूचि को अंजाम देते हुए आगे बढ़ते हैं तो आत्मसंतुष्टि के साथ ही अपनी अलग पहचान बनती है जिस से असीमित खुशी मिलती है.

मानसिक संतुष्टि

आज की उच्च शिक्षित लड़कियां अच्छे पैकेज के साथ जौब कर रही हैं, औफिस में उन्हें काफी जिम्मेदारी से अपने कार्यों को अंजाम देना पड़ता है किंतु बदले में लाखों रुपए मिलने से उन्हें उन कार्यों को करने में अधिक थकान महसूस नहीं होती. मेहनत और जोश से आगे बढ़ते हुए उन की पदोन्नति भी होते रहती है. अपने हक का पैसा अपने पास रहने से उन्हें अपनी इच्छाओं को पूरा करने की भी आजादी रहती है. अधिकांश खुशियों का पूरा होना रुपयों पर भी निर्भर करता है. जो महिलाएं आत्मनिर्भर हैं वह अपने भविष्य की योजनाओं के प्रति भी सजग रहती हैं, जिस के चलते वह मानसिक रूप से स्वस्थ व खुश दिखाई देती हैं.

मन को लुभाती आजादी

आज के युग में छोटेछोटे बच्चों को भी रोकटोक पसंद नहीं. हर कोई अपनी जिंदगी को अपने हिसाब से अपने अरमानों को पूरा करते हुए बिताना चाहता है. संयुक्त परिवार में पारिवारिक सदस्यों द्वारा अलगअलग तरीके से दबाव बना रहता है, साथ ही मेहमानों की आवाजाही लगी रहती है. जिस के कारण खुल कर जीने के मार्ग नहीं मिलते. मन की कुंठा अनेक बिमारियों को न्यौता देती है. कार्यभार चाहे जितना भी रहे किंतु उसे अपने हिसाब से अंजाम देने में सुकून मिलता है. किसी के दबाव में आ कर काम करते समय तनाव तो महसूस होता है. आजादी विकास की अनेक राहों को प्रशस्त करती है.

खुशी के अनेक पर्याय उपलब्ध

रोजमर्रा की दिनचर्या से कई बार बोरियत महसूस होने लगती है. हर व्यक्ति अपने जीवन में कुछ नयापन लाना चाहता है. समयसमय पर कुछ बदलाव से तनमन के भीतर ऊर्जा भर जाती है, जिस से हम तरोताजा महसूस करते हैं. विभक्त परिवार में छूट्टी मिलते ही बड़ी आसानी से घूमनेफिरने के प्रोग्राम बना लिए जाते हैं, प्रकृति के सानिध्य में बिताए खुबसूरत लम्हें मनमस्तिष्क को तो प्रसन्न करते ही हैं साथ ही हम नए उत्साह से काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं. आपसी हम उम्र साथियों के साथ मेलजोल होते रहता है. हम जब चाहे जैसे चाहे घर में अपने परिजनों या साथियों को बुला कर पार्टियों का लुत्फ उठा सकते हैं, जिस में किसी तरह की कोई समस्या नहीं होती. न ही किसी से इजाजत लेने की आवश्यकता रहती है. इसी तरह विभक्त परिवार में खुशियों के अनेक द्वार खुले रहते हैं.

परस्पर संबंधों में मजबूती

कई बार अन्य पारिवारिक सदस्यों के कारण दाम्पत्य जीवन प्रभावित होता है. विभक्त परिवार में पतिपत्नी दोनों के ही रहने से वे एकदूसरे को भरपूर समय दे सकते हैं, आपसी भावनाओं को तवज्जो दिया जाता है, साथ ही अंतरंगी संबंध सुदृढ़ रहते हैं. बच्चों को भी स्वावलंबी बनाने में आसानी होती है, वे अनुशासन में रहना सीखते हैं. मातापिता बच्चे को पर्याप्त समय दे सकते हैं उस के पढ़ाईलिखाई पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं, अन्य गतिविधियों में भी ऐसे बच्चे आगे रहते हैं क्योंकि अभिभावकों का पूरा ध्यान उन पर रहता है.

अनावश्यक व्यय से बचाव

विभक्त परिवार में एक महिला के हाथों घर की बागडोर रहती है जिस से उसे खानपान से ले कर हर आवश्यक वस्तुएं कितनी लगनेवाली है इस का अनुमान रहता है, जिस कारण अनावश्यक रूप से व्यय की संभावना नहीं रहती. साथ ही महिलाओं में यह आदत होती वह अपनी व्यक्तिगत पूंजी या अन्य वस्तुओं को बहुत संभाल कर रखती है. संयुक्त परिवारों में वस्तु घर में सभी सदस्यों की होती है इसलिए उसे हिफाजत से रखने का दायित्व किसी एक का नहीं होता तो लापरवाही बरती जाती है. किचन में खाद्य सामग्री का अनुमान लगाना मुश्किल रहता है ऐसे में अन्न की बरबादी भी बहुत होती है और अनावश्यक व्यय भी बढ़ता है.

वक्त का भरोसा नहीं इसीलिए छोटी सी जिंदगी को हर कोई जिंदादिली से जीने की तमन्ना रखता है. आज स्पर्धा के युग में वैसे ही अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है कोई आर्थिक स्थिति को ले कर तो कोई शारीरिक समस्याओं के कारण परेशान रहते हैं. फिर ऐसे हालात में पारिवारिक सदस्यों द्वारा मिलने वाला मानसिक दबाव, तनाव का मुख्य कारण बन जाता है जो प्रगति की राह में बाधा उत्पन्न करने के साथ ही मानसिक विकार का कारण भी बन जाता है. इसीलिए छोटा परिवार सुखी परिवार रहता है.

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