मुसलमानों की हत्याओं के आंकड़े भयावह हैं. पिछले 15 वर्षों में कोई 3 करोड़ मुसलमान इसलामिक देशों में मारे जा चुके हैं. कहीं आतंकवाद के नाम पर तो कहीं गौहत्या के नाम पर मुसलमान मर रहे हैं. वे दूसरी कौमों के हाथों भी मारे जा रहे हैं और अपनी ही कौम की साजिशों के शिकार भी हो रहे हैं. दुनिया की दूसरी सब से बड़ी कौम की इतनी बड़ी तबाही पर विश्व समुदाय क्यों खामोश है, इस की गहन पड़ताल करती यह रिपोर्ट.

26 अक्तूबर को उत्तरपश्चिमी सीरिया में अमेरिका के विशेष बलों की कार्रवाई में इसलामिक स्टेट यानी आईएस के सरगना अबू बकर अल बगदादी को मार गिराया गया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मुताबिक बगदादी एक क्रूर और हिंसक व्यक्ति था, लिहाजा उस का खात्मा भी क्रूर और हिंसक तरीके से हुआ. उसे एक ऐसी सुरंग में उस के 3 बेटों के साथ उड़ा दिया गया, जहां से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था. कहा तो यह जा रहा है कि बगदादी ने स्वयं को बारूद से उड़ा लिया, लेकिन इस दावे में कितनी सचाई है, यह कहना मुश्किल है. दुनियाभर का मीडिया बस वही देखसुन रहा है, जो अमेरिकी मीडिया सुना रहा है.

बगदादी एक कथित इसलामिक स्टेट का मुखिया था और पिछले 5 वर्षों से अंडरग्राउंड था. बगदादी 2010 में इसलामिक स्टेट औफ इराक ऐंड सीरिया यानी आईएसआईएस का नेता बना था. इराक के सामर्रा में निम्नमध्यवर्गीय सुन्नी परिवार में 1971 में जन्मे बगदादी का असली नाम इब्राहिम अल-ऊद अल-बदरी था. दुनिया ने उसे अल बगदादी के नाम से जाना. उस का परिवार अपनी धर्मनिष्ठता के लिए जाना जाता था.

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