हाल ही में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार 15 से 60 साल की कामकाजी महिलाएं घरेलू काम पर 7.2 घंटे बिताती हैं जबकि पुरुषों द्वारा 2.8 घंटे बिताए जाते हैं. यह आंकड़ा महिलाओं के पास समय की भारी कमी दर्शाता है. टाइम यूज सर्वे (टीयूएस) पर आधारित इस शोध में कहा गया है कि पैसा कमाने वाली महिलाएं घर की सफाई, भोजन तैयार करने, देखभाल करने जैसे कामों में पुरुषों की तुलना में काफी ज्यादा समय खर्च करती हैं.

रिसर्च में 24 घंटे का डेटा इकट्ठा किया गया है. सुबह 4 बजे से ले कर अलगे दिन सुबह 4 बजे तक के दौरान काम का डेटा शामिल है. डेटा के आकलन से पता लगाया गया है कि भारत में महिला और पुरुष के बीच समय का आवंटन जैंडर तय करता है. जैंडर के आधार पर बनी भूमिकाएं समय और काम के बंटवारे में भूमिका निभाती हैं.

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के पास फुरसत का समय 24 प्रतिशत कम होता है. इस अध्ययन में यह भी पता चला है कि पुरुष प्रतिदिन लगभग 150 मिनट अधिक अपने रोजगार के लिए खर्च करते हैं. महिलाओं के समय का एक बड़ा हिस्सा उन के रोजगार की स्थिति के बावजूद घरेलू जिम्मेदारियों को पूरा करने में खर्च हो जाता है. नौकरीपेशा महिलाओं के लिए इस का परिणाम ‘सैकंड शिफ्ट’ के तौर पर निकलता है. जाहिर है घर के काम और बच्चे की देखभाल का बोझ अभी भी महिला साथी पर असमान रूप से पड़ता है. यह ऐसी स्थिति है जो 3 दशकों में बहुत अधिक नहीं बदली है.

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