मिंत्रा एक ईकौमर्स प्लेटफौर्म है. जहां से मनपंसद की खरीददारी की जाती है. खरीददारी करने के लिए अपने मोबाइल पर मिंत्रा का एक डाउनलोड करना होता है. इस और्डर को डिलीवरी ब्यौय 1 से 7 दिन में ग्राहक तक पहुंचाता है. डिलीवरी में कितना समय लगेगा इस की ट्रैकिंग की जा सकती है. एक पार्ट से दूसरी जगह पहुंचने पर ग्राहक को मैसेज आ जाता है कि आप का और्डर कहां पर है ? यह काम और्डर ट्रैकिंग टूल करता है. पैकेट पर जो बार कोड लगा होता है उस के जरीए ही यह होता है. हर और्डर को ट्रैक नहीं किया जा सकता है. और्डर ट्रैक करना चाहते हैं तो और्डर देते समय ही ‘ट्रैक और्डर’ औप्शन पर क्लिक करना होता है.
डिलीवरी करने वाली ज्यादातर कंपनियां अब अपने लौजिस्टिक्स पार्टनर रखते हैं. लौजिस्टिक्स पार्टनर चेन सिस्टम रखता है. यह अपनी सेवा शर्तों के हिसाब से काम लेते हैं. इससे कंपनी की जिम्मेदारी नहीं रहती है. मिंत्रा के लिए डिलीवरी करने वाले 30 साल के शूफियान खान से बात करने पर पता चलता है कि प्रति डिलीवरी शूफियान को 12 रूपए 50 पैसे मिलता है. डिलीवरी के लिए शूफियान ने स्कूटी रखी हुई है. उस में सामान रखना सरल होता है.
शूफियान लखनऊ के चैक इलाके में काम करता है. इन को 3 किलोमीटर के दायरे में डिलीवरी करनी होती है. प्रति दिन 20-25 डिलीवरी यह कर लेते हैं. महीने में 12 से 15 हजार के बीच मिल जाता है.
शूफियान कहते हैं ‘शुरूशुरू में अच्छा लगता है. काम आसानी से मिल जाता है. पैसा आने लगता है. धीरेधीरे इस काम में भी लोग बढ़ रहे हैं जिस से हमारी आय नहीं बढ़ रही है. 3 से 4 साल में इस काम से मन उबने लगता है. शरीर में दिक्कतें बढ़ जाती हैं. रीढ़ की हड्डी कमर और गरदन में दर्द बढ़ता है. जितनी मेहनत होती है उस हिसाब से पैसा नहीं है. मजबूरी में करते हैं. जिस दिन काम नहीं करते पैसा नहीं मिलता है.
मिंत्रा के लिए डिलीवरी करने से पहले शूफियान स्नैपडील के लिए काम करते थे. 2 साल वहां काम करने के बाद अब वह मिंत्रा के लिए काम कर रहे हैं. इन के मोबाइल में मिंत्रा का एप डाउनलोड है. इस में इन की अपनी एक आईडी बनी है. आईडी में शूफियान का पूरा विवरण दर्ज है. इन का नाम, पता, फोन नंबर, गाड़ी का नंबर और प्रकार, आधार कार्ड की कापी इस के अलावा इन का बैंक खाता. गाड़ी और फोन दोनों ही शूफियान के हैं. इन का किसी तरह का कोई चार्ज मिंत्रा नहीं देती है.
शूफियान का कहना है कि उसे आपसी संपर्क से यह जानकारी मिली कि मिंत्रा के लिए काम कर सकते हैं. संपर्क करने पर शोभित शर्मा मैनेजर मिले. शूफियान के फोन पर एप डाउनलोड किया. उस में औनलाइन एक फार्म भरा जिस में नाम, पता, फोन आधार का विवरण दिया. एक ओटीपी आती है उस को लिखते ही औनलाइन फार्म पूरा भर कर जमा हो गया. उस की कोई कौपी शूफियान के पास नहीं है. इस पेशे में गरीब और कमजोर वर्ग के युवा ज्यादा आते हैं जो कंपनी से झगड़ा नहीं करते.
जब डिलीवरी मैन का काम शुरू हुया था तब हालात थोड़े बेहतर थे अब यहां भी लौजिस्टिक्स पार्टनर के रूप में बिचैलिए आ गए हैं जिन की वजह से काम ज्यादा खराब हो गया है. बेरोजगारी है तो सब सहन करना पड़ता है. यह सोच कर काम करते हैं कि बेरोजगार खाली बैठने से अच्छा है कि डिलीवरी मैन बन कर ही काम करें. इन का बड़ा समूह हो गया है. एकदूसरे को यह जानकारी देते रहते हैं कि कहां कितने लोगों की जगह खाली है. परेशान होने के बाद भी थकहार कर उसी काम को करने लगते हैं.