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संपादकीय
अच्छा सिला दिया तू ने मेरे प्यार का
अपर्णा के भी आंसू रुक नहीं रहे थे. उस ने अपनी सास को ढांढ़स बंधाया और अपनी दोस्त को तहेदिल से धन्यवाद दिया कि उस की वजह से उस के ससुर की जान बच पाई.
भाग - 1
बेटी के मोह के आगे बहू का प्यार अनदेखा कर देना, क्या प्रभा का यह रवैया गलत नहीं था. लेकिन पता नहीं क्यों, बेटी रंजो के दिखावे को प्रभा समझ नहीं रही थी.
भाग - 2
कमा कर लाती है और घर संभालती है, तो कौन सा एहसान कर रही है हम पर. घर उस का है, तो संभालेगा कौन?’’ ‘‘अच्छा, सिर्फ उस का घर है, तुम्हारा नहीं? बेटी जब भी आती है उस की खातिरदारी में जुट जाती हो,
भाग - 3
कंडक्टर ने हां बोला और चला गया. लेकिन बाद में वह भी भूल गया, तब तक बस इलाहाबाद से आगे निकल गई थी.कंडक्टर को अच्छा न लगा, उस ने बस वापस मुड़वाई.
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