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दर्द का रिश्ता
मैं पापा को किसी तरह भी मना कर अपने साथ ले कर चली जाऊंगी,"कहतेकहते अपूर्वा का गला भर आया. कमला की आंखें भी डबडबा गईं. अपने आंचल से अपूर्वा के आंसू पोंछते हुए कमला ने कहा,
भाग - 1
कोरोना में अपनों को खो देने के बाद अपूर्वा की सासूमां में अचानक आए बदलाव से वह हैरान थी। आखिर ऐसा क्या हो गया था कि वे दकियानूसी सोच को छोङ आधुनिक जमाने की सासूमां बन गई थीं...
भाग - 2
जिस व्यक्ति ने इतने विकट समय में उस का साथ दिया था, आज वह उन्हें भला अकेला कैसे छोड़ सकता था. खून का न सही पर इंसानियत का रिश्ता तो था ही...
भाग - 3
मृदुलाजी तसवीरों में मुसकरा रही थीं, स्वागत करने वाले हाथ बाट जोहती वे दो जोड़ी आंखें दूसरी दुनिया में जा चुकी थीं.
भाग - 4
यह मरीजों का खाना खाना मेरे बस की बात नहीं, कभी मेरी पत्नी के हाथ का खाना खा कर देखिए सब भूल जाएंगे."जिस आदमी को मां ने जीतेजी एक गिलास पानी नहीं उठाने दिया आज वे.
भाग - 5
गाड़ी तेजी से धूल उड़ाते हुए आगे बढ़ गई. अपूर्वा और पापा की नजर कार के शीशे के बाहर घर के दरवाजे पर ही अटक गई थी.
भाग - 6
पापा वैसे ही निर्विकार से बैठे हुए थे अचानक वे खड़े हो गए,"नमस्ते भाभी जी." साधनाजी तब तक चाय ले कर आ गई थीं. सब लोग अपनी जगह से खड़े हो गए.
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