उत्तर प्रदेश में टीचर्स और सरकार के बीच विवाद छिड़ गया. विवाद का कारण शिक्षा विभाग के द्वारा जारी किया एक आदेश था जिस के चलते प्राइमरी टीचर को अपनी हाजिरी या उपस्थिति डिजिटल माध्यम से लगाई जानी थी. टीचर्स इस के लिए तैयार नहीं हुए. वे विरोध कर रहे थे और शिक्षा विभाग भी इस कदम से पीछे हटने को तैयार नहीं था लेकिन लोकसभा चुनाव में हार के बाद योगी सरकार इस तरह की नई मुसीबत से फिलहाल बचना चाह रही है इसलिए टीचरों का विरोध देखते हुए फिलहाल अगले आदेश तक लिए इसे टाल दिया गया है.
क्या था मामला
उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में टीचरों की डिजिटल अटेंडैंस 8 जुलाई, 2024 से हर स्कूल में शुरू हुई. इस के शुरू होते ही टीचरों ने अपना गुस्सा दिखाते हुए विरोध जताना शुरू कर दिया. टीचर्स ने हाथ पर काली पट्टी बांध कर अपना काम किया. विरोध कितना तगड़ा था कि राज्य में 6 लाख से ज्यादा प्राइमरी टीचर में से 2 फीसदी से भी कम ने डिजिटल अटेंडैंस लगाई. राज्य के अलगअलग क्षेत्रों में शिक्षक अपनाअपना विरोध दर्ज करवाए.
टीचर्स ने मांग की कि सरकार पुरानी पेंशन समेत टीचरों की सभी लंबित मांगें मानें तो हम इस नई व्यवस्था को खुशीखुशी स्वीकार कर लेंगे. नियम के मुताबिक, विद्यालयों में शिक्षकों और दूसरे कर्मियों को सुबह 7.45 बजे से 8 बजे तक अपनी अटेंडैंस लगानी होती है. अब इस समय को बढ़ा कर 8.30 बजे तक कर दिया गया था. टीचर्स के विरोध को देखते हुए बेसिक शिक्षा विभाग अपना रूख नरम किया और टीचर्स को 30 मिनट की मोहलत दी थी लेकिन टीचर्स को स्कूल देर से पहुंचने की जरूरी वजहें भी बतानी होगी.
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