करीब 20 सालों तक शांत रहे जम्मू में आखिर ऐसा क्या हो गया कि अचानक वहां आतंकी गतिविधियां तेज हो गई हैं? बीते तीन सालों में आतंकियों ने जम्मू के सुरक्षित माने जाने वाले इलाकों में पैर पसारना शुरू कर दिया है. वे कश्मीर से खिसक कर जम्मू के शांत इलाकों को अपनी गोलियों से थर्रा रहे हैं. वे घात लगा कर सिक्योरिटी फौर्सेस को ही नहीं बल्कि आम नागरिकों को भी निशाना बना रहे हैं. केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 का खात्मा कर के बारबार इस बात को दोहराया कि हम ने आतंकवाद पर पूरी तरह काबू पा लिया है. मगर ये बात भी जुमला ही साबित हो रही है.

 

जम्मू में आतंकी जिस तरह वारदात कर भागने में सफल हो रहे हैं, उस से ह्यूमन इंटेलिजेंस पर सवाल खड़े हो रहे हैं. आतंकी इलाके में हैं और लगातार वारदात कर रहे हैं लेकिन उन की जानकारी सेना को नहीं मिल पा रही है. तो क्या स्थानीय लोगों का साथ आतंकियों को हासिल है या स्थानीय लोगों के बीच से ही कुछ लोग आतंकियों की भूमिका में आ चुके हैं? वे जम्मू के शांत इलाकों को टारगेट कर रहे हैं. वे जम्मू में हमला कर के यह संदेश भी देना चाहते हैं कि उन की जद में पूरा केंद्र शासित प्रदेश है. अगर वे बाहरी लोग हैं तो सीमा की सुरक्षा को धता बता कर देश में दाखिल कैसे हो रहे हैं? पुंछ के भाटादूड़ियां के जंगलों से निकला आतंक का जिन्न मोदी काल में जम्मू के डोडा तक पहुंच गया है और आतंकियों पर कार्रवाई रणनीतिक बैठकों और सर्च औपरेशन से आगे नहीं बढ़ पा रही है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...