लोकसभा में विरोध और लंबी बहस के बाद तीन तलाक विधेयक एक बार फिर से पास हो गया. इस बिल के पास होने पर देश भर में तीन तलाक की त्रासदी और डर से गुजर रही मुस्लिम पीड़िताओं में खुशी की लहर दौड़ गयी है. हालांकि मौलानाओं और उलेमाओं सहित मुस्लिम समाज के ठेकेदार बने कुछ नेताओं ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए इसे शरीयत विरोधी साजिश करार दिया है. दारुल उलूम समेत दीगर उलेमा ने इस पर एतराज जताते हुए इसे शरीयत में दखलंदाजी बताया है. बिल पर लोकसभा में बहस के दौरान सदन के अन्दर कांग्रेस, डीएमके, एनसीपी, टीडीपी और जेडीयू ने बिल का जम कर विरोध किया. सपा नेता आजम खान, अखिलेश यादव और असद्दुदीन औवेसी बिल के खिलाफ अड़े रहे. दो साल पहले तीन तलाक के सम्बन्ध में सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल एक याचिका पर सुनवायी के दौरान भी देखा गया था कि इस मसले पर देश्व्यापी बहस में मुस्लिम समाज के अधिकांश नेता और धर्मगुरु अपने-अपने तर्कों के साथ तीन तलाक की वर्तमान व्यवस्था के समर्थन में ही खड़े थे. खैर, गुरुवार को बिल पर दिन भर बहस चली और शाम को यह बिल बड़े समर्थन के साथ लोकसभा में पास हो गया. बिल के समर्थन में 303 वोट पड़े जबकि विरोध में केवल 82 वोट. हालांकि यह बिल पिछली लोकसभा में ही पास हो चुका था, लेकिन राज्यसभा ने इस बिल को वापस कर दिया था. 16वीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद मोदी सरकार ने कुछ बदलावों के साथ इस बिल को दोबारा संसद में पेश किया. अब इसे राज्यसभा में भी पास कराने की जद्दोहजद होगी.