अटल सरकार में केन्द्रीय मंत्री रहे स्वामी चिन्मयानंद ने अपने उपर बलात्कार का आरोप लगने के बाद खुद को बचाने और आरोप लगाने वाली लड़की को फंसाने का हर दांव पेंच आजमाया. सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में आने के बाद उनका कोई दांव पेंच काम नहीं आया. उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने चिन्मयानंद को बचाने का हर काम किया पर सुप्रीम कोर्ट के दबाव के आगे उन्हें झुकना पडा. उत्तर प्रदेश पुलिस ने बलात्कार का आरोप लगाने वाली लड़की और अन्य लोगों के खिलाफ 5 करोड़ की ब्लैकमेलिंग का मुकदमा लिखा था. दिल्ली मे लड़की ने जब बलात्कार का मुकदमा लिखाया और प्रमाण के रूप में 48 वीडियों सौंपे तब सरकार ने एसआईटी जांच के लिये पहल की. एसआईटी की जांच में बिलम्ब होता देखकर पीड़ित लड़की ने खुद के आत्मदाह की बात कही तो उत्तर प्रदेश सरकार, चिन्मयानंद और पुलिस की बदनामी पूरे देश में होने लगी. ऐसे में उत्तर प्रदेश की सरकार के लिये स्वामी चिन्मयानंद को बचाना संभव नहीं हुआ.

20 सितम्बर को एसआईटी ने चिन्मयानंद को गिरफ्तार किया और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि चिन्मयानंद को उनके आश्रम से गिरफ्तार किया गया. एसआईटी टीम ने जांच कर चिन्मयानंद को गिरफ्तार करने के बाद मेडिकल कराया. इसके साथ चिन्मयानंद से रंगदारी मांगने के आरोप में भी 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि चिन्मयानंद की गिरफ्तारी में कोई देरी नहीं हुई है. वीडियो के परीक्षण के बाद ही आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है.

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