उत्तर प्रदेश में भाजपा को ‘डबल एंटी इन्कम्बेंसी’ का सामना करना पड़ रहा है. इस कारण ही भाजपा चुनाव के प्रचार में विकास के मुददों को दरकिनार करके राष्ट्रवाद, आतंकवाद और पाकिस्तान के मसलों को अपने प्रचार अभियान में शामिल कर रही है. भाजपा के लोकसभा चुनाव लड़ रहे नेताओं से स्थानीय जनता निराश है. 2014 में मोदी के मैजिक पर चुनाव जीत कर आये नेताओं ने विकास का कोई काम नहीं किया. राजधानी लखनऊ से जुड़ी मोहनलालगंज लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर कौशल किशोर ने चुनाव जीता था. मोहनलालगंज कस्बे का सबसे बड़ी परेशानी रेलवे लाइन पर पुल का न बना होना है. पिछलें लोकसभा चुनाव में कौशल किशोर ने क्षेत्रा की जनता से वादा किया था कि यह पुल बन जायेगा. 5 साल के बाद भी रेलवे लाइन का यह पुल जस का तस है.
क्षेत्रा की जनता का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद सांसद कौशल किशोर ने कभी भी इस मांग पर ध्यान नहीं दिया. मउफ गांव के रहने वाले उमेश सिंह कहते है ‘क्षेत्रा की जनता रेलवे क्रांसिग पर लगने वाले जाम से परेशान है. गांव के लोग किसान अपनी परेशानी से जूझ रहे है. किसानों के खाते में जो पैसा आया है वह ऐसा नहीं है कि किसानों की जरूरतें पूरी हो सके.’ मोहनलालगंज लोकसभा सुरक्षित सीट है. यह विकास के मसले में कोसों पीछे है. मोहनलालगंज लोकसभा चुनाव की जीत में मोहनलालगंज विधनसभा का अहम रोल होता हैमोहनलालगंज और गोसाईगंज में अच्छे किस्म के कालेज और अस्पताल नहीं है. कई ऐसीघटनायें भी घट चुकी है जिसमें मरीजो की मौत तक हो चुकी है. जनता कई बार ऐसी मांग हो चुकी हैकि अच्छे अस्पताल और कालेज बने. सांसद ने जीत के बाद इन मुददो पर काम नहीं किया.