आम चुनाव की तैयारी के दौरान देश तरहतरह के राजनीतिक विवादों की चपेट में है. भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की सरकार अपने 5 वर्षों के कार्यकाल को सफल बता रही है तो विपक्ष सरकार को हर मोर्चे पर विफल बता रहा है. इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की कई योजनाओं और वादों की हकीकत को दर्शाती एक तथ्यपरक किताब ‘वादा-फरामोशी (facts, not fiction, based on RTI) सामने आई है. इस किताब को आरटीआई कार्यकर्त्ता संजोय बासु, नीरज कुमार और शशिशेखर ने कलमबद्ध किया है.
वादा-फरामोशी, दरअसल, सरकार द्वारा मुहैया कराए गए तथ्यों के आधार पर पिछले 5 वर्षों के मोदी सरकार के कामकाज का एक दस्तावेज है. इस किताब के तीनों लेखकों का दावा है कि किसी भी मीडिया, एनजीओ, व्यक्ति या किसी दूसरे संस्थान ने फिलहाल ऐसा नहीं किया है. ठोस जानकारी-साक्ष्य को आधार बना कर सरकारी योजनाओं का विश्लेषण इस पुस्तक में बखूबी किया गया है. पिछले 3 वर्षों में दायर वास्तविक आरटीआई के आधार पर यह किताब मोदी सरकार की कई योजनाओं और वादों की हकीकत को बयां करती है.
वादा-फरामोशी किताब में मोदी सरकार के दावों की सचाई को पाठकों के सामने लाने की ईमानदार कोशिश की गयी है. तकरीबन 3 दशकों बाद केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार थी. इस सरकार का मन्त्र था – न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन. नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व में सरकार के बागडोर संभालने की शुरुआत से ही देश ने कई केन्द्रीय योजनाओं के प्रचार पर भारी सरकारी खर्च देखा. इसलिए, देश व देशवासियों को यह जानना भी जरूरी है कि मोदी सरकार की सभी घोषणाओं और योजनाओं का अंतिम परिणाम क्या रहा. यह सब वादा-फरामोशी में मौजूद है.
नई दिल्ली में 24 मार्च को किताब का विमोचन करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि देश की वर्तमान हालत डरावनी है क्योंकि कोई नागरिक जब सवाल पूछता है या सरकार के खिलाफ आवाज उठाता है तो उसे राष्ट्र-विरोधी कहा जाता है. एक मुस्लिम परिवार के हालिया वायरल वीडियो में गुंडों द्वारा बेरहमी से पिटाई पर टिप्पणी करते हुए केजरीवाल ने कहा कि यह हिंदुत्व के नाम पर किया जा रहा है, हालांकि, हिन्दू धर्म के मौजूदा धर्मग्रंधों में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि मुस्लिमों या किसी अन्य को प्रताड़ित करो. मालूम हो कि मुस्लिमों की यह पिटाई गुड़गांव में होली के दिन की गयी थी.