कांग्रेस मुक्त भारत के बयान से भाजपा पलट गयी है. वजह है, और दोनों ही वजह जायज हैं. सोनिया गांधी का रोड-शो सफल रहा. उम्मीद से ज्यादा सफल रहा. और राज्य सभा ने जीएसटी विधेयक को पारित कर दिया, जहां कांग्रेस के बिना संविधान में संशोधन का प्रस्ताव पारित नहीं हो सकता था.

भाजपा ने किस पर इनायत की और किस पर रहम किया? यह बाद में समझ में आयेगा. आयेगा जरूर. यदि मैडम गांधी बनारस में बीमार पड़ने के बजाये कुछ बोल पातीं तो अच्छा होता.

2 अगस्त 2016 का ‘रोड-शो‘ बनारस में अब तक का सबसे बड़ा और सबसे सफल रोड-शो नजर आया. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी छा गईं. नरेन्द्र मोदी का रचा हुआ मोहजाल अब इकलौता नहीं है. 32 साल बाद सत्ता में वापस होने की उम्मीदों ने कांग्रेसियों को एकजुट किया या नहीं? लेकिन संघ और भजपा के आक्रामक तेवर ने दलितों एवं अल्पसंख्यकों में जितनी असुरक्षा की भावना भर दी है, उसकी वजह से कांग्रेस उन्हें भाजपा से बेहतर नजर आने लगी है. वैसे अपने संसदीय क्षेत्र में मोदी जी ने इतना फेंका है, कि लोगों ने लपेटना ही बंद कर दिया. अब चारों ओर योजनाओं और वायदों के मोदी छाप धागे बिखरे पड़े हैं.

वैसे पतंग अभी कटी नहीं है, ना ही भरम पूरी तरह टूटा है, धर्म एवं जातीय समीकरण के आधार पर भाजपा का वोट बैंक अभी है, लेकिन ‘265 प्लस‘ और सरकार बनाने का सवाल है. सपा अंधेरे में है, और बसपा अपने खिसकते आधार को बचाने में है. परिदृश्य यही है, और गलत मुद्दे उछल रहे हैं. दीवारों पर लिखे भाजपा के नारे मुंह चिढ़ा रहे हैं. अभद्र और गलत बयानी प्रदर्शन, दबिश, हिरासत और अदालतों का चक्कर लगा रहे हैं. किसी को खास अफसोस नहीं है, ना ही लिहाज या खयाल है. वाम और वैकल्पिक मोर्चे का पता-ठिकाना नहीं है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...