भाजपा हिन्दू राष्ट्र की समर्थक है. अपने हर काम को जायज ठहराने के लिये महाभारत और रामायण काल के उदाहाण से काम चलाती है. रामायण और महाभारत में राजाओं ने सत्ता पर कब्जा करने के लिये हर तरह का कदम उठाया और बाद में उसे जायज भी करार दिया. राजाओं के उस दौर में रातोरात सत्ता पलटी जाती थी. लोकतंत्र में ऐसे उदाहरण कम मिलेगे जब समय से पहले प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग जाये और समय से पहले ही मुख्यमंत्री पद की शपथ भी दिला दी जाये. अब दलबदल कानून और संविधान की रोशनी में इसे भी जायज ठहराने का काम किया जाएगा.
महाराष्ट्र में एनसीपी को सरकार बनाने के लिये दिये गये समय से पहले राज्यपाल भगत सिंह कोश्यिारी ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने की सिफारिश कर दी. भाजपा नेता देवेन्द्र फड़वनीस को एनसीपी के विद्रोही गुट के नेता अजीत पवार ने जैसे ही अपना समर्थन दिया राज्यपाल ने सुबह औफिस खुलने का भी इंतजार नहीं किया और सुबह 8 बजकर 15 मिनट पर ही मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी. सत्ता को कब्जे में करने के लिये दलबदल के ऐसे खेल रात में ही खेले जाते है. दलबदल के इस खेल में सबसे महत्वपूर्ण दो खिलाड़ी होते है. तो संवैधानिक पद पर बैठे होते है. जिनके बारे में संविधान कहता है कि वह दलीय परंपरा से उठ कर संविधान के हित में काम करते है. राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष दलबदल के खेल में सबसे महत्वपूर्ण होते है. कई बार इनमें आपस में टकराव भी होता है.
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