आदमी ठीक से देख पाता नहीं और पर्दे पे मंजर बदल जाता है ...
उपरोक्त पंक्तियां फिल्म आप की कसम नाम की फिल्म के एक गाने की हैं. आनंद बख्शी द्वारा लिखे इस गाने को अभिनेता राजेश खन्ना पर फिल्माया गया था. इस गाने का मुखड़ा था-
जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मुकाम वो फिर नहीं आते ....
महाराष्ट्र में राजनीति के लिहाज से नया कुछ नहीं हुआ है, हां आज सुबह जब वहां के लोग उठे तो सरकार वजूद में आ चुकी थी लेकिन वो शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस की नहीं थी बल्कि भाजपा और आधी एनसीपी की थी. मुंबई में इडली सांभर और बड़ा पाव का नाश्ता करते लोगों ने हैरानी से वही बात कही जो एक दिग्गज कांग्रेसी ने टोस्ट खाने और काफी पीने के बाद ट्वीट की थी कि पवार साहब तुस्सी ग्रेट हो......
शरद पवार अब भले ही पूरी मासूमियत से यह कहते रहें कि इस प्रात कालीन चौंका देने वाले ड्रामे से उनका कोई लेना देना नहीं बल्कि यह उनके प्रिय भतीजे अजित पवार की करतूत है तो महाराष्ट्र की चिड़िया भी उन पर भरोसा करने वाली नहीं. महानता दिखाना कभी कभी मजबूरी हो जाती है इस मजबूरी को तकनीक भरी चालाकी से कैसे दिखाया जा सकता है, यह जरूर शरद पवार से सीखा जा सकता है. जो कल शाम तक कह रहे थे सब कुछ ठीकठाक है और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे सीएम होंगे.
इधर बेचारे उद्धव ठाकरे का दर्द कोई नहीं समझ सकता जो बीती रात सरकार के सपने बुनते सोए थे लेकिन सुबह उठे तो हाट लुट चुकी थी. देवेंद्र फड़वनीस चमचमाते कपड़े पहने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके थे. दरअसल में डील तो तभी हो चुकी थी जब मोदी-पवार किसानों की परेशानियों की ओट लेकर मिले थे और पूरी स्क्रिप्ट लिखकर तय किया था कि कैसे उद्धव को राजनीति सिखाना है. उम्मीद है उद्धव को दिनांक 23 नवंबर के सूर्योदय के साथ वह बुद्धत्व मिल गया होगा जिसके लिए बुद्ध सालों साल भूखे प्यासे यहां से वहां भटकते रहे थे.
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