महाराष्ट्र व हरियाणा सहित 51 विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनावों के नतीजे बताते हैं कि आम लोग राष्ट्रवाद, हिंदुत्व, कश्मीर और मंदिर की राजनीति की हकीकत अब समझने लगे हैं. गर्त में जाती अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी से त्रस्त वोटरों ने स्पष्टतौर पर भाजपा से असहमत होते दम तोड़ते विपक्ष को ताकत देना शुरू कर दिया है.

महाराष्ट्र के मराठवाड़ा इलाके के बीड़ जिले की परली विधानसभा से अपने चुनावप्रचार अभियान को शुरू करने वाले भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही भाषण में अपनी मंशा जाहिर कर दी थी कि वे महाराष्ट्र और हरियाणा की सत्ता राष्ट्रवाद के मुद्दे पर कायम रखना चाहते थे. अपने भाषण को यथासंभव जोशीला और जज्बाती बनाने में कोई कसर उन्होंने नहीं छोड़ी थी.

अमित शाह ने पहले भाषण में कई बार परली के मतदाताओं से कहा था कि भाजपा सरकार देशभक्त और राष्ट्रवादी है जिस ने जम्मूकश्मीर से धारा 370 को बेअसर करने की हिम्मत दिखाई. लेकिन जब नतीजे आए तो इस सीट से देवेंद्र फडणवीस सरकार की दिग्गज मंत्री और कभी के दिग्गज भाजपाई व केंद्रीय मंत्री रहे गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे अपने चचेरे भाई एनसीपी के धनंजय मुंडे के हाथों हार गईं.

परली का मुकाबला बड़ा प्रतिष्ठापूर्ण था, जिस में पंकजा मुंडे की जीत में किसी को शक नहीं था. अमित शाह के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी परली गए और कमोबेश वही बातें दोहराईं जो अमित शाह कह चुके थे. फर्क इतना भर रहा कि नरेंद्र मोदी ने अपनी आदत के मुताबिक और भी लुभावने वादे वोटर से किए.

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