राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चुनावी रणनीति में हिंदू धार्मिक नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. बीते सालों में धर्म और राजनीति के इस मिश्रण ने संघ को भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में भगवा लहर बनाने में मदद की है. लेकिन इस साल अस्वाभाविक रूप से बड़ी संख्या में धर्म गुरु 28 नवंबर को होने जा रहे विधानसभा चुनाव में बीजेपी का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं. चुनाव का पारा बढ़ने के साथ साधुओं ने यह प्रण लिया है कि वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार को उखाड़ फेकेंगे.

धर्म गुरुओं के इस विद्रोह का नेतृत्व कंप्यूटर बाबा के नाम से मशहूर हाई प्रोफाइल साधू नामदेव दास त्यागी कर रहे हैं. 23 नवंबर को जबलपुर में नर्मदा नदी के किनारे हिंदू धार्मिक नेताओं के भव्य आयोजन के बाद मुझसे बात करते हुए उन्होंने कहा, “हम लोगों का मात्र एक उद्देश्य हैः नर्मदा नदी और गाय की रक्षा लेकिन शिवराज सिंह चौहान हमारी बात सुनने को तैयार नहीं हैं.” कंप्यूटर बाबा ने आगे कहा, “शिवराज नर्मदा और गाय विरोधी हैं और आरएसएस के करीबी साधुओं को संरक्षण देकर साधू समुदाय को मूर्ख बनाना चाहते हैं.”

एक दिवसीय नर्मदा संसद में राज्यभर के 1000 साधुओं ने भाग लिया. सुबह संसद का आरंभ यज्ञ के साथ हुअ जिसमें चौहान सरकार के हराने की प्रार्थना की गई. संसद के अंत में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें जनता से संत विरोधी बीजेपी सरकार को हराकर “धर्म की रक्षा” करने का आह्वान किया गया.

जबलपुर में आयोजित यह संसद राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिंदू धर्म गुरुओं द्वारा आयोजित श्रृंखलाबद्ध विरोध प्रदर्शनों का समापन कार्यक्रम था. पहला प्रदर्शन भोपाल में 2 अक्टूबर को हुआ था, उसके बाद 23 अक्टूबर को इंदौर में, 30 अक्टूबर को ग्वालियर में, 4 नवंबर को खंडवा में और 11 नवंबर को रीवा में प्रदर्शन हुआ.

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