हिंदुस्तान के दिल मध्यप्रदेश में सियासी उठापटक मची हुई है. इससे पहले भी एकबार ऐसी उठापटक मची थी लेकिन तब कमलनाथ सरकार ने किसी तरह अपने विधायकों को बागी होने से ने केवल बचाया था बल्कि दावा किया था कि बीजेपी के भी कई विधायक उनके संपर्क में हैं. लेकिन अब स्थिति वैसी नहीं है जैसी पहले थी. यानि कि यहां से एमपी की राजनीति करवट बदल सकती है.

खरीद-फरोख्त के बीच कांग्रेस के विधायक हरदीप सिंह डंग ने इस्तीफा दे दिया है, डंग ने अपना इस्तीफा विधानसभाध्यक्ष को भेजा है. वैसे तो डंग का आरोप है कि वह मंदसौर जिले के सुवासरा से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं, मगर उनकी बात कोई मंत्री और अधिकारी नहीं सुन रहा है. इससे परेशान होकर वह इस्तीफा दे रहे हैं, लेकिन मौजूदा दौर की राजनीति पर नजर पसारें तो ये उनके तर्क पर यकीन नहीं होता.

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मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने के लिए खरीद-फरोख्त के जाल में फंसने की चर्चाओं के बीच सामने आए विधायकों के जवाबों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, साथ ही सत्ता पक्ष के कई नेताओं को संदेह के घेरे में खड़ा कर दिया है.

राज्य की सियासत में बीते तीन दिनों से कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने के लिए 10 विधायकों को बंधक बनाए जाने की खबरों ने हलचल मचाई हुई है. सीधे तौर पर भाजपा पर आरोप लगे कि उसने कांग्रेस सरकार को समर्थन देने वाले सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों को 25 से 35 करोड़ रुपये में खरीदने का ऑफर दिए गए हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए विधायकों को दिल्ली ले जाने और फिर विधायकों को हरियाणा के एक होटल में रखे जाने व बसपा विधायक राम बाई को मुक्त कराने का दावा किया. मुक्त कराने में मंत्री जीतू पटवारी व दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की बातें कही जा रही है.

कांग्रेस की ओर से जब भाजपा पर खरीद-फरोख्त करने के आरोप लगाए जा रहे हैं, उसी बीच इस मामले में संदिग्ध बने विधायकों के बयान आए हैं. इन बयानों में किसी भी विधायक ने भाजपा पर सीधा आरोप नहीं लगाया, जिसके चलते सत्ता पक्ष से जुड़े कई लोग ही संदेह के घेरे में आ गए हैं. बुधवार की शाम को दिल्ली से छह विधायकों को चार्टर प्लेन से भोपाल लाया गया था. इन विधायकों में से एक बसपा के संजीव सिंह कुशवाहा का कहना है कि उनसे किसी भाजपा के नेता ने संपर्क नहीं किया, साथ ही कांग्रेस नेताओं द्वारा मुक्त कराए जाने की बात को भी नकारा है.

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इसी तरह बसपा की अन्य विधायक (निलंबित) राम बाई ने भी किसी भी तरह से भाजपा के संपर्क में होने और भाजपा नेता के साथ चार्टर प्लेन से दिल्ली जाने की बात से इंकार किया है. उनका कहना है कि, ‘उनकी बेटी की तबियत खराब थी और उन्होंने एक सप्ताह पहले ही दिल्ली जाने का विमान का टिकट कराया था, उस विमान में पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक भी गए थे, मगर उनसे किसी तरह की बात नहीं हुई, आमतौर पर जो अभिवादन होता है, वही हुआ था, यह बात पूरी तरह झूठ है कि मैं उनके साथ गई थी.’

होटल में किसी के द्वारा अभद्रता, मारपीट किए जाने की चर्चाओं के सवाल पर राम बाई ने कहा, “दुनिया में कोई हाथ नहीं लगा सकता, जो उन्हें हाथ लगाता उसका वे हाथ तोड़ देती चाहे वह अधिकारी ही क्यों न हो, सच्चाई जानने के लिए मंत्री जीतू पटवारी और जयवर्धन सिंह से पूछिए जो वहां थे.” इसी तरह निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने भी भाजपा के संपर्क में होने की बात को नकारा है. वे इन दिनों बेंगलुरु में हैं. कहा जा रहा था कि भाजपा उन्हें बेंगलुरु ले गई है. शेरा का कहना है कि वे अपनी बेटी का इलाज कराने बेंगलुरु आए हैं, उनके साथ पूरा परिवार और अन्य कर्मचारी भी है. वे तो सरकार के साथ हैं, मगर सरकार से भी पूछिए कि सरकार उनके साथ है.

विधायकों के बयान पर भाजपा तो हमलावर है मगर कांग्रेस की ओर से मंत्री जीतू पटवारी का कहना है कि इस पूरे घटनाक्रम के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिम्मेदार हैं, विधायक लगातार कांग्रेस के संपर्क में थे क्योंकि भाजपा की सोच जहां खत्म होती है वहां से कमलनाथ की सोच शुरू होती है.

वहीं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने राज्य की जनता को बदनाम करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि कांग्रेस और दिग्विजय सिंह को प्रदेश की जनता से माफी मांगना चाहिए. खरीद-फरोख्त के आरोपों से घिरे विधायकों के बयानों ने सत्ताधारी दल कांग्रेस की मुसीबत बढ़ाने का काम कर दिया है, क्योंकि किसी भी विधायक ने भाजपा पर खुलकर आरोप नहीं लगाया है.

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भले ही ये नेता किसी भी प्रकार की राजनीतिक उठापटक की बात न मान रहे हों लेकिन राज्य में इस बात की चर्चा है कि भाजपा कांग्रेस के घर सेंध लगाने में जुटी हुई है. लेकिन अभी भी एक  बात लोगों को समझ नहीं आ रही कि ये सब राज्य की सत्ता हथियाने को लेकर है या फिर राज्यसभा में सीटें बढ़वाने के लिए.

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