इस मामले में जो हो गया वह ज्यादा अहम है या वह जो हो रहा है या कि फिर वो जो होना होना बाकी रह गया है , ये तीनों ही बातें एक दूसरे से कुछ इस तरह गुंथी हुई है कि इन्हें अभी अलग नहीं किया जा सकता क्योंकि इस मामले को उलझाने बाले खुद ही कुछ ऐसे उलझ गए हैं कि गिट्टी अब उनसे सुलझाए नहीं सुलझ रही  .  मामला अब रहस्य रोमांच भरे सरीखे उपन्यास जैसा हो चला है जिसे तीन चौथाई पढ़ने के बाद पाठक समझ जाता है कि अब उसे अपने अंदाजे की पुष्टि भर करना है .

कहानी संक्षेप में कुछ यूं है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस के एक दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ दी है और वे भाजपाई पुरोहितों के मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं कि आज किस चौघड़िए में उन्हें भगवा साफा पहनाया जाएगा . श्रीमंत के सामंती खिताब से नवाजे जाने बाले  सिंधिया कोई ऐरे गैरे नेता नहीं हैं वे भाजपा और जनसंघ की संस्थापक सदस्य ग्वालियर राजघराने की महारानी विजयाराजे सिंधिया के नवासे हैं , अपने जमाने के धुरंधर और लोकप्रिय कांग्रेसी नेता माधवराव सिंधिया के बेटे है और भाजपा की दो धाकड़ नेत्रियों वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे के भतीजे हैं . ज्योतिरादित्य सिंधिया के गैरमामूली होने का एक प्रमाण यह भी है कि उनके साथ कांग्रेस के 22 और विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है और 8 और विधायक इस्तीफा दे सकते हैं जिससे सवा साल पुरानी कांग्रेसी सरकार गिरने के कगार पर है .

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