Zohran Mamdani : पिछले दिनों अमेरिका के सब से बड़े शहर न्यूयौर्क में जोहरान ममदानी की सफलता केवल चुनावी जीत नहीं थी, बल्कि यह बड़े राजनीतिक और सामाजिक बदलाव की शुरुआत व असली लोकतंत्र का उदाहरण है. ममदानी ने मेयर पद के लिए डैमोक्रेटिक प्राइमरी में पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो को पराजित किया.

भारतीय जड़ों वाले 33 साल के इस युवा नेता ने उन लोगों की आवाज उठाई, जो चकाचौंध से भरे न्यूयौर्क में हाशिए पर जीवन बिता रहे हैं. जोहरान ममदानी ने इन की परेशानियों पर ध्यान दिया. उन्होंने टीवी स्टूडियो, औनलाइन इंटरव्यू और महंगे विज्ञापनों से ज्यादा तवज्जुह जनता से सीधे संवाद को दी. वे सड़कों पर उतरे, गलियों में गए और आम लोगों से बातचीत कर उन की नब्ज जानी.

न्यूयौर्क का वर्किंग क्लास इस शहर में बढ़ते खर्च से परेशान है, ममदानी ने इस के समाधान का वादा किया. उन्होंने इन आम लोगों के लिए फ्री पब्लिक ट्रांसपोर्ट, किराए पर लगाम, न्यूनतम वेतन का वादा किया जो एक नजर में न्यूयौर्क जैसे शहर के एजेंडे से बाहर की चीज लगते हैं. लेकिन ममदानी की जीत से जाहिर होता है कि मध्यवर्ग की समस्या हर जगह एकजैसी है. वह चाहे भारत हो या न्यूयौर्क, इस वर्ग को ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो उस की परेशानियों को समझ कर उन का हल पेश कर सके.

ममदानी को प्रोग्रैसिव माना जाता है. वे उदार हैं, युवा हैं और अपनी बात स्पष्ट तरीके से रखते हैं, खासकर इजराइल व हमास जंग के मसले पर उन्होंने जहां नेतन्याहू को आड़े हाथों लिया वहीं जंग से त्रस्त आ चुकी अमेरिकी जनता का दर्द भी वे सामने लाए. यूक्रेन हो या गाजा, लड़ाई के खर्च का एक बड़ा हिस्सा इसी जनता की जेब से जा रहा है. फिर गाजा में पैदा हुई मानवीय त्रासदी ने भी इजराइली पीएम नेतन्याहू के खिलाफ गुस्सा पैदा किया है. ऐसे में ममदानी का साफ स्टैंड लेना लोगों को भा रहा. दुनियाभर के लोकतांत्रिक देशों को जोहरान ममदानी जैसे स्पष्ट बोलने वाले युवा नेतृत्व की जरूरत है.

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