लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के 5 स्तंभों- किसान न्याय, युवा न्याय, नारी न्याय, श्रमिक न्याय और हिस्सेदारी न्याय को अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल किया है. हर वर्ग में 5 गारंटियां हैं. इस तरह से कांग्रेस पार्टी ने कुल 25 गारंटियां दी हैं. बता दें कि वर्ष 1926 से ही देश के राजनीतिक इतिहास में कांग्रेस घोषणापत्र को ‘विश्वास और प्रतिबद्धता का दस्तावेज’ माना जाता है. कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि देश बदलाव चाहता है. मौजूदा मोदी सरकार की गारंटियों का वही हश्र होने जा रहा है जो 2004 में भाजपा के ‘इंडिया शाइनिंग’ नारे का हुआ था. इस के लिए हमारे हर गांव और हर शहर के कार्यकर्ताओं को उठ खड़ा होना होगा. उन्हें घरघर पार्टी के घोषणापत्र को पहुंचाना होगा.

हिस्सेदारी न्याय में गिनती करो तो जातीय गणना का मुददा पहला है. दूसरा मुद्दा आरक्षण का हक है जिस के तहत कहा गया है कि आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमारेखा हटा दी जाएगी. जनसंख्या हिस्सेदारी के अनुसार एससी और एसटी को बजट में हिस्सा दिया जाएगा. वन अधिकार के तहत जल, जंगल और जमीन का कानूनी हक दिया जाएगा. अपनी धरती अपना राज्य के तहत जहां एसटी सब से ज्यादा हैं वहां उन को हक दिया जाएगा. वे क्षेत्र एसटी घोषित होंगे.

साधारणतया देखें तो यह दिखता है कि हिस्सेदारी की इस गारंटी में ओबीसी का नाम नहीं है. जिस ओबीसी को ले कर राहुल गांधी भाजपा और मोदी से सवाल कर रहे थे वह पूरी तरह से गायब है. देश पर सब से अधिक समय तक कांग्रेस की हुकूमत रही है. उस ने कभी धर्म और जाति के मसले को हल करने की कोशिश नहीं की. ऐसे में जनता कांग्रेस की इन गारंटियों पर कितना भरोसा करेगी, यह अहम सवाल है.
जब जाति और उस के अधिकार की बात आती है तो समझ आता है कि अंगेरजों के समय जो कांग्रेस थी उस की सोच सवर्णवादी थी. पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम में पंडित न होता तो कांग्रेस में वे होते ही नहीं. लोकमान्य तिलक से ले कर सरदार वल्लभभाई पटेल तक हिंदूवादी मानसिकता के थे. मुगल काल के दौरान देश में जाति व्यवस्था नहीं थी. अंगरेजों ने जनगणना के माध्यम से जाति व्यवस्था को मजबूत करने का काम किया. उन का सोचना था कि वे भारत में राज करने के लिए आए हैं, समाज सुधार करने नहीं. आर्य समाज जैसे संगठनों ने जाति सुधार की बात कही पर उस से धर्म-जाति व्यवस्था खत्म नहीं हुई, उलटे, देश में धर्म का प्रभाव बढ़ा जिस के फलस्वरूप देश आजादी के समय 2 अलगअलग देशों में बंट गया.

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