शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में पुजारी अपना मानदेय बढ़वाने के लिए धरने प्रदर्शन करते रहते थे बल्कि उन्होंने शिवराज सिंह को सत्ता से बेदखल होने का श्राप भी दे डाला था. यह श्राप फलीभूत हुआ और पंडे पुजारियों के दम पर सत्ता के शिखर तक पहुंचने वाली भाजपा अब विपक्ष में बैठी है. कांग्रेस की सरकार में मुख्यमंत्री कमलनाथ बने तो उन्होंने शुरू में ही संकेत दे दिये थे कि मध्यप्रदेश सरकार साफ्ट हिन्दुत्व के एजेंडे पर चलेगी.

अपने पहले ही बजट में कमलनाथ सरकार ने न केवल पुजारियों का मानदेय तिगुना कर दिया है बल्कि 1000 गौशालाएं बनाने 132 करोड़ देने की भी घोषणा कर डाली है. इतना ही नहीं और दरियादिली दिखाते यह भी 732 करोड़ वाले भारी भरकम बजट में कहा गया है कि मंदिरों की जमीनों को सरकारी पैसे से विकसित किया जाएगा यानि एक तरह से सरकार अब मंदिर निर्माण कर भी पुण्य और ब्राह्मणों का आशीर्वाद बटोरेगी क्योंकि मंदिर की जमीनों पर खेती वही करेगा और दक्षिणा भी बटोरेगा. गौ शालाओं की गायों के भोजन के लिए अब सरकार 10 की जगह 20 रु प्रतिदिन देगी यानि 600 रु प्रति महीना प्रति गाय का खर्च आम लोगों को उठाना पड़ेगा. यहां कमलनाथ उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पिछड़ गए हैं. जिन्होंने गौ माताओं को 900 रु प्रतिमाह देने का ऐलान किया है.

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पहले ही बजट में पुजारी कल्याण कोष की भी घोषणा की गई है और सरकार राम वन गमन पथ का भी विकास करेगी. 40 नदियों के पुनर्जीवन को भी साफ्ट हिन्दुत्व के एजेंडे का ही हिस्सा माना जा रहा है. बजट पूरी तरह हिन्दुत्व की छाप वाला न दिखे इसलिए हज कमेटी का भी अनुदान बढ़ाने की घोषणा की गई है. वित्त मंत्री तरुण भानोट हालांकि बजट को हिन्दुत्व का नहीं बल्कि यथार्थ का बता रहे हैं तो वे कुछ गलत नहीं कह रहे क्योंकि धर्म और उसकी दुकानदारी से बड़ा यथार्थ कुछ और हो भी नहीं सकता.

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