भारतीय जनता पार्टी में एक बात तो है, ये पार्टी रिकौर्ड बनाने और पुरानी रीति-नीति को ध्वस्त करने की इच्छाशक्ति रखती है. 2014 से 2019 तक हम कई मौकों पर ये सब देख चुके हैं. इस बात भी कुछ ऐसा ही हुआ. पहले एक पुरानी रीति पीएम मोदी ने गणतंत्र दिवस के दिन ही तोड़ दी. इस बार इंडिया गेट पर नहीं बल्कि शौर्य मेमोरियल पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. खैर बात करते हैं बजट 2020 की. मोदी सरकार पार्ट-2 का पहला बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से संसद में पेश किया. इतिहास बनाने में वो भी पीछे नहीं हटीं.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को आम बजट पेश किया. इस दौरान वो 2 घंटे 40 मिनट तक भाषण पढ़ती रहीं. फिर भी आखिरी के दो पेज रह गए. जब वो भाषण खत्म ही करने वालीं थीं तभी उनकी तबियत भी बिगड़ गई. इसके बाद आखिरी पेज बिना पढ़ें ही सदन में रख दिया गया. हर बार की तरह इस बार भी बजट आम लोगों को बिल्कुल भी समझ नहीं आया. जीएसटी के बाद से वैसे भी बजट में कुछ क्लियर समझ नहीं आ रहा. लेकिन सवाल ये है कि आखिरकार जिस आम आदमी के लिए ये बजट बनाया जाता है अगर वो ही इसे समझ न पाए तो फिर क्या फायदा.

वित्त मंत्री के भाषण के बाद पीएम नरेंद्र मोदी भी सामने आए. उन्होंने बजट को सबसे बेस्ट बजट बता दिया. बताएं भी क्यों नहीं. सरकार के मुखिया तो वो ही हैं.

वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि टैक्स छूट के लिए कर्मचारी भविष्य निध‍ि (EPF),नेंशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और सुपरएनुएशन यानी रिटायरमेंट फंड में निवेश की संयुक्त ऊपरी सीमा 7.5 लाख रुपये तक कर दी है. इन तीनों में टैक्स छूट का फायदा मिलता है. बजट डौक्यूमेंट में कहा गया है, 'यह प्रस्ताव किया जाता है कि एक साल में कर्मचारी के खाते में नियोक्ता द्वारा भविष्य निध‍ि, सुपरएनुएशन फंड और एनपीएस में निवेश की ऊपरी सीमा 7.5 लाख रुपये तय किया जाए.'

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