दुनिया के लगभग सभी देशों में कोरोना की प्रतिछाया के दुष्परिणाम सामने हैं. आज दुनिया पर महामारी का प्रकोप है .कोरोना जिसका इलाज अभी वैज्ञानिकों के पास नहीं है,ऐसे में यह तो होना ही था की हमारी सरकार जनता कर्फ्यू, लाॅक डाउन और कर्फ्यू के रास्ते पर चल पड़े. मगर इस सब के बीच जो सार तथ्य निकलकर सामने आ रहे हैं उसके आधार पर यह कहना समीचीन होगा की जो अनुशासन, समझदारी और सौहार्द, मानवता दिखाई देना चाहिए वह समाज में दिखाई नहीं दे रही.
सरकार का जो दायित्व होता है उसे निभाने में कोताही दिखाई दे रही है. जनवरी 2020 में ही कोरोना की दस्तक सुनाई दी थी, मगर इसके बावजूद “सरकार” ने वही गलतियां की जो आम आदमी करता है. जिस सूझबूझ तत्परता की दरकार सरकार से थी उसमें केंद्र और राज्य सरकारों ने चूक की, ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम हो या वेंटिलेटर, चिकित्सा व्यवस्था में कसावट का मामला, सरकार हर जगह फ्लाप हुई है. अगरचे यही गलतियां कोई और करता तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसे कभी मुआफ नहीं करते और सारा देश सर पर उठा लेते, ऐसे में कोरोना संदर्भ में विपक्ष के रूप में कांग्रेस की भूमिका सराहनीय है.
मंत्री, नेता घरों में क्यूं है
चाहे वे मंत्री हों या जनसेवा का चोला, व्रत धारण करने वाले हमारे नेता.आज “कोरोना वायरस” अटैक के दरम्यान घरों में कैद हो गए हैं. घर से बाईट, स्टेट मेंट जारी हो रहे है .हम तो यही कहेंगे अगर आप नेता हैं, मंत्री हैं तो आपने जनता जनार्दन की सेवा का व्रत लिया है, जनता ने आप को वोट दिया है. ऐसे में नेता, मंत्री गण का कर्तव्य है की सर्व-सुरक्षा के साथ जनता के बीच पहुंचे और उनकी समस्याओं को हल करने का दायित्व निर्वाहन करें.
ये भी पढ़ें-मध्यप्रदेश: दिग्विजय, कमलनाथ और अब भाजपा वाले सिंधिया
प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री!! आपका कर्तव्य यह नहीं है की कर्फ्यू, लाॅक डाउन करके आप चैन की बांसुरी बजाते रहे. चौराहे पर पुलिस लोगों को कंट्रोल करें, डंडे बरसाये. इससे समस्या का हल नहीं होगा.आवश्यकता, संवेदनशीलता के साथ लोगों को “अपना परिवार” मानते हुए इस भीषण विकट स्थिति में लोगों की मदद करना. मदद की उदात्त भावना नेता, मंत्रीगण, प्रशासन में दिखाई देनी चाहिए न ही किसी बैरी, शत्रु का भाव दिखाई पड़ता रहे .और यह भावना सद्सयता के दिखाई देनी चाहिए मगर दुर्भाग्य यह हममें नहीं है. मेडिकल स्टाफ डॉक्टर, नर्स जब इस पेशे में आते हैं तो यह भावना सेवा, समर्पण की होनी चाहिए नेता, मंत्री को ही देखिए मगर क्या आपको ऐसा दिखाई दे रहा है ? यह बेहद दुखद स्थितियां हैं .
पैसों से तोल रहे मंत्रीगण
कोरोना महामारी के इस भीषण काल में कोई मंत्री एक महीने की तनख्वाह दे रहा है, तो कोई तीन महीने की. एक-एक लाख रुपये, तो कोई दस लाख रुपए. ठीक है पैसे की अहमियत है, पैसा बहुत कुछ है मगर यह मंत्रीगण, नेता जी भूल गए हैं की आप जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं आप घरों से निकलकर जनता के पास पहुंचे और उनके आंसू पोछो, लाखों दिहाड़ी कमाने वालों को क्या दो जून की रोटी नसीब हो रही है, क्या गरीब आम आदमी ने खाना खाया है. यह देखना भी आपका परम कर्तव्य है. अगर आप ऐसा नहीं करते तो आप सच्चे अर्थ में जनप्रतिनिधि या मंत्री नहीं है. अब चुनाव के समय आप कैसे घर घर जाते हैं,करोड़ों रुपये खर्चते हैं, शराब मुर्गा बांटते हैं. हाथ जोड़ते हैं… सच्चे अर्थ में हाथ जोड़ने गले लगाने का वक्त आज है.
‘ लूट ‘ को रोकना आपका दायित्व है
कोरोना महामारी की घबराहट फैलते ही बाजार बंद करा दिए गए, कर्फ्यू लागू है. अब चारों तरफ आवश्यक वस्तुओं में मानो लूट सी मच गई है. टमाटर 50 रुपए आलू 40 रुपए बिकने लगा है हर जरूरी सामान महंगा हो गया.यह अनायास महंगाई लूट का दूसरा स्वरूप है जिसे रोकने मे सरकार असहाय है. मास्क, सैनिटाइजर जरूरी सामान की कालाबाजारी शुरू हो गई, क्योंकि लोगों को यह लगता है की लूट सके तो लूट.
ये भी पढ़ें-#coronavirus: शाहीन बाग में लगा पलीता तंबू उजड़ा, ढाक के तीन पात हुआ नतीजा
अगरचे, हमारे प्रमुख नेता सदशयता दिखाये, स्वयं आगे आकर लोगों से मिले,कोरोना का भय त्याग कर समस्या देखें, हॉस्पिटल के हालात देखें, व्यवस्था करें तो कितना अच्छा हो .यह काम जिलाधीश, अफसरों पर छोड़ना आप कितना जायज मानते है.