टीएमसी सांसद और खूबसूरत अभिनेत्री नुसरत जहां का अपने उद्योगपति पति निखिल जैन से विवाद और अलगाव सीता परित्याग जैसा एक दुखद उदाहरण है जिस ने कट्टरपंथियों की यह मंशा पूरी कर दी है कि अंतधार्मिक और अंतर्जातीय शादियां, खासतौर से सैलिब्रिटीज की, ज्यादा से ज्यादा फ्लौप हों.

आरोपप्रत्यारोप ठीक वैसे ही हैं जैसे आमतौर पर आम पतिपत्नियों के बीच होते हैं. लेकिन निखिल का यह आरोप गंभीर है कि नुसरत के पेट में पल रहा बच्चा उन का नहीं है. इस पर बेबाक नुसरत की खामोशी हैरान कर देने वाली है.

नुसरत पूरी बेफिक्री से बेबी बम्प प्लांट करती दिखीं तो सहज लगा कि यह फैशन भी है और बिजनैस भी है. वे तुर्की में हुई अपनी शादी को शादी मानने ही को तैयार नहीं जिस से लगता है कि नुसरत दांपत्य को एक परिपक्व महिला के तौर पर नहीं ले पा रहीं. इस अलगाव से प्रेमियों में अच्छा मैसेज नहीं गया है जो इस कपल को एक मिसाल के तौर पर देखते थे.

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फेल हुए पासवान 

चिराग पासवान के पास अब अपने पिता रामविलास पासवान के जमाने के संस्मरण भर बचे हैं जिन्हें सुनतेसुनाते उन्हें अपने नाकाम होने की कसक भी सालती रहेगी. चाचा पशुपति कुमार पारस ने लोजपा को दोफाड़ कर उन्हें वही  झटका दिया है जो महाभारत के युद्ध में कई चाचाओं ने अपने भतीजों को दिए थे.

युवा चिराग की दुर्गति तो उसी दिन से शुरू हो गई थी जब उन्होंने खुद को नरेंद्र मोदी का हनुमान बताते दलित हितों की बलि चढ़ा दी थी. पटना में 16 अक्तूबर, 2020 को तो जोशीले चिराग अपनी 42 इंच की छाती चीर कर भी दिखाने को तैयार थे. चिराग अभी तक अपने पिता की मेहनत की खा रहे थे लेकिन उन्होंने पिता से सीखा कुछ नहीं कि कैसे जमीनी राजनीति करते दोस्ती और दुश्मनी मैनेज की जाती है और इस से भी अहम बात अपने वोटरों को कैसे साध कर रखा जाता है.

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