उत्तराखंड में सियासी हलचल तेज है. भाजपा नेतृत्व की निगाहें मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पर टेढ़ी हैं लिहाजा उन्होंने राजभवन जाकर गवर्नर बेबी रानी मौर्या को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. रावत को सत्ता संभाले ज़्यादा दिन नहीं हुए हैं. उन्होंने इसी साल 10 मार्च को मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली थी. इस तरह वो मात्र 115 दिन ही मुख्यमंत्री रहे. इस दौरान वे अपने फैसलों की बजाय मूर्खतापूर्ण बयानों को लेकर ज़्यादा चर्चित हुए. तीरथ सिंह रावत के बयानों की वजह से संसद से लेकर सड़क तक भाजपा के प्रति लोगों में उबाल देखा गया. सोशल मीडिया पर रावत की और पार्टी की जमकर फजीहत हुई. उनके बयानों की वजह से सोशल मीडिया पर हैशटैग की मानो बाढ़ ही आ गयी. उनके कई बयानों की तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आलोचना हुई है.
राजभवन से निकल कर रावत इस्तीफा प्रकरण पर तो चुप्पी साधे रहे मगर मीडिया कैमरों के सामने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाकर चले गए. बाद में कुछ मीडियाकर्मियों से उन्होंने कहा ‘मैंने संवैधानिक संकट की वजह से राज्यपाल को इस्तीफा दिया है. राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर सेवाएं देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा का आभार व्यक्त करता हूं.’
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मगर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने मामले पर थोड़ा प्रकाश डाला और कहा कि कोविड के चलते परिस्थितियां ऐसी बन गई थीं कि मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा. इसके अलावा वे अभी राज्य के किसी सदन के सदस्य भी नहीं थे. यही बात उनके मुख्यमंत्री बने रहने के आड़े आ रही थी. चुनाव आयोग ने साफ कर दिया था कि ऐसी महामारी में वह उपचुनाव नहीं कराएगा. इससे राज्य में संवैधानिक संकट हो सकता था. इसलिए मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दिया है. अब भाजपा के विधायक दल की बैठक के बाद विधायकों में से ही किसी को मुख्यमंत्री चुना जाएगा. राज्य में अगले साल फरवरी-मार्च महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में नए मुख्यमंत्री का कार्यकाल महज 7-8 महीने का रहेगा.
हालांकि रावत के पास अभी 2 महीने का वक़्त था और 6 माह पूरा होने से पहले वे इस्तीफा देकर दोबारा शपथ ले सकते थे, लेकिन भाजपा को अगले साल के शुरू में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ऐसा करना ठीक नहीं लगा. मुख्यमंत्री बनने के बाद लगातार विवादित बयान देकर भाजपा की फजीहत कराने वाले तीरथ सिंह रावत की इसीलिए भी जल्दी विदाई हो गई क्योंकि भाजपा उनके नेतृत्व में प्रदेश चुनाव करवाने का रिस्क हरगिज़ नहीं उठाना चाहती है.
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गौरतलब है कि तीरथ सिंह रावत ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर कोई ऐसा फैसला नहीं लिया जिसकी तारीफ हुई हो, बल्कि वे अपने मूर्खतापूर्ण बयानों और कार्यों के कारण ही ज़्यादा चर्चित रहे. कोरोना महामारी से प्रदेश को बचाने की बजाय महामारी को स्प्रेड करने के लिए रावत की काफी आलोचना हुई है. कुम्भ मेले में ना तो उन्होंने सख्ती बरती और ना ही वहां आने वालों का आरटीपीसीआर करवाया गया. मूर्खता की हद तो तब हुई जब उन्होंने कहा कि कुंभ कई सालों में एक बार आता है. उसमें सख्ती दिखाने की जरूरत नहीं है. हरिद्वार कुंभ में आने के लिए कोई आरटीपीसीआर रिपोर्ट की जरूरत नहीं है. कोई भी आकर स्नान कर सकता है. इस बयान के बाद काफी सियासी बवाल मचा था और रावत की फजीहत तब और ज़्यादा हुई जब कुम्भ में आने वाले तमाम साधू-संत कोरोना की चपेट में आ गए.
कुंभ के दौरान तीरथ सिंह रावत ने जिस तरह से भीड़ को जमा होने की छूट दी और उसके बाद कोरोना जांच के नाम पर फर्जीवाड़े में उनके करीबियों का नाम उछला, उससे उनकी स्थिति काफी खराब हो गई. वैसे भी तीरथ जिस तरह से काम कर रहे थे, उससे भाजपा को लगने लगा था कि आगामी चुनाव में उसकी नैया पार नहीं लगने वाली. तीरथ को हालांकि भाजपा केंद्र में भी पद दे सकती है, क्योंकि वह पौड़ी गढ़वाल सीट से सांसद भी हैं.
महिला की जींस पर टिप्पणी
राजधानी देहरादून में नशे को लेकर एक कार्यशाला में तीरथ सिंह रावत ने बयान दिया कि युवाओं को फटी जींस पहनकर घूमता देख उन्हें काफी आश्चर्य होता है. अपनी एक फ्लाइट का किस्सा मीडिया को सुनाते हुए उन्होंने कहा था – फ्लाइट में सफर करने के दौरान एक महिला से उनकी मुलाकात हुई. महिला एनजओ चलाती थी. वह महिला फटी जींस पहनती है. बच्चों के साथ समाज के बीच जाती हैं, तो क्या संस्कार देंगी?
फटी जींस वाले बयान के बाद शॉर्ट्स पर बयान से तीरश रावत बुरे फंसे थे. उनका ये बयान सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ. उन्होंने अपने कॉलेज का भी एक किस्सा शेयर करते हुए कहा था कि शॉर्ट्स पहनकर कॉलेज आई एक लड़की के पीछे लड़के भागने लगे थे. इस तरह के बयान उनकी संकुचित मानसिकता को उजागर करते रहे और भाजपा की नकारात्मक छवि बनाते रहे.
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मोदी की तुलना कृष्ण से कर दी
उनकी चाटुकारिता का गज़ब नमूना तब देखने को मिला जब हरिद्वार दौरे के दौरान तीरथ सिंह रावत ने कहा कि पीएम मोदी त्रेता और द्वापर युग के कृष्ण है. राम ने समाज के लिए काम किया था, इसलिए वे भगवान कहलाए. आने वाले समय में लोग मोदी को भी इसी रूप में देखेंगे.
भारत को अमेरिका का गुलाम बता दिया
रावत की शिक्षा-दीक्षा और ज्ञान पर तब सवाल खड़ा हुआ जब एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने हैरान करने वाला बयान दे डाला. उन्होंने कहा कि अमेरिका ने हम पर 200 सालों तक राज किया. दरअसल रावत अमेरिका और ब्रिटेन में कन्फ्यूज हो गए. उनके इस बयान की भी सोशल मीडिया पर काफी फजीहत हुई थी.