प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी के कैबिनेट विस्तार की जिस तरह छीछालेदर हो रही है वह अभूतपूर्व कही जा सकती है, एक ही सवाल का जवाब प्रधानमंत्री मोदी दे दें कि देश बड़ा है या सत्ता!

नरेंद्र दामोदरदास मोदी का बहुप्रतीक्षित कैबिनेट विस्तार जिस आलोचना का सबब बना है वह अपने आप में ऐतिहासिक है सिर्फ और सिर्फ आगामी उत्तर प्रदेश चुनाव के मद्देनजर कैबिनेट का विस्तार यह बता गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी और भाजपा सत्ता के लिए कितनी बड़ी सत्ता पिपासु है. सिर्फ अपनी छवि और कुर्सी के बचाव के कारण कैबिनेट का कुछ इस तरह विस्तार किया गया कि आने वाले समय में उत्तर प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी पुनः सत्तासीन हो सके.

दरअसल, विकास की जो बातें देशवासियों को आए दिन लोगों को लुभावने लच्छेदार भाषणों मीठी चुपड़ी बातों का सच अब सामने आ रहा है. नरेंद्र दामोदरदास मोदी की एक धरोहर थी आप याद करिए- "गुजरात मॉडल" का एक भ्रम जाल फैला कर के 2014 के चुनाव में भाजपा ने मोदी को आगे रख कर के अपनी चुनावी नैया पार लगाई थी और जैसे-जैसे समय बीतता चला गया अब गुजरात मॉडल पीछे रह गया है. वह सारी बातें अब कोई नहीं करता जिनके आधार पर देश की जनता ने नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुना था. अब जब लगभग 7 वर्ष पूर्ण हो गए हैं और मोदी ने बहु प्रतिक्षित कैबिनेट विस्तार किया तो एक बार पुनः यह सच सामने आ गया की किस तरह 56 इंच का दावा करने वाला प्रधानमंत्री ताश के पत्तों की तरह मंत्रियों को फेंट देता है अपने पुराने दिन के लोगों को बाहर का रास्ता दिखा देना, यह दर्शाता है कि नरेंद्र दामोदर मोदी ने कोरोनावायरस कोविड 19 काल के समय में हुई अपनी गलतियों को अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों पर थोप दिया है.

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