चीन से निकले कोरोना वायरस की दहशत ने दुनिया का चक्का जाम कर रखा है. कामधंधे ठप हैं, व्यापार चौपट हैं और लगभग हर देश अपनी डूबती अर्थव्यवस्था को ले कर चिंतित है. मगर आश्चर्यजनक रूप से चीन ने न सिर्फ कोरोना पर पूरी तरह काबू पा लिया बल्कि 2021 की पहली तिमाही में उस की अर्थव्यवस्था ने गजब का उछाल दर्ज किया है. दुनिया को पीछे छोड़ती चीन के विकास की बुलेट ट्रेन जिस रफ्तार से भाग रही है उस ने अमेरिका और यूरोप की चिंता बढ़ा दी है. भारत तो अब कहीं है ही नहीं.

40 वर्षों में चीन की शानदार आर्थिक और सैन्य वृद्धि के बाद उस का मनमाना रवैया और हर क्षेत्र में चीन का बढ़ता वर्चस्व अमेरिका के लिए खतरे की घंटी है. दुनियाभर के बाजारों पर चीन का कब्जा, बंदरगाहों पर चीनी फौजों का जमावड़ा, उस के परमाणु हथियारों की बढ़ती ताकत, चीनी कर्जे में डूबते जा रहे विकासशील देश, लगातार अपनी सीमाओं को नाजायज तरीके से बढ़ाने की कोशिश और इस सब के बीच अचानक चीन से शुरू हुआ कोरोना बम विस्फोट.

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चीन में यह कब, कैसे और कहां पैदा हुआ, इस का जवाब देने के लिए चीन तैयार नहीं है. वह इस बात की जांच भी नहीं होने देना चाहता है. चीन अपनी लैब में अमेरिकी चिकित्सकों व वैज्ञानिकों की टीम को घुसने की इजाजत देने को तैयार नहीं है. चीन की इस हरकत से अमेरिका का पारा चढ़ा हुआ है. बीते माह दक्षिणपश्चिमी इंग्लैंड में हुए जी-7 सम्मलेन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने साफ कहा, ‘हम चीन की प्रयोगशाला तक नहीं जा पाए.’

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